क्रांति का सच्चा सिपाही, एक सच्चा कम्युनिस्ट बनने के लिए सिर्फ आँखों में जुल्मो सितम के खिलाफ नफ़रत और हाथों में पत्थर नहीं, पास में वैज्ञानिक समाजवाद की किताबे, उसे समझने की उत्कट इच्छा और भगत सिंह की तरह क्रांति की राह में मर मिटने की प्रतिबद्धता होनी चाहिए.
एक सही क्रन्तिकारी पार्टी का हिस्सा बन कर क्रन्तिकारी काम करने के लिए बहुत बड़े श्रेणी का बुद्धिजीवी होना कोई जरुरी नहीं है, दर्द होना चाहिय, पूँजी के विरुद्ध खड़ा होने का साहस होना चाहिए, जुल्मो सितम के खिलाफ घृणा होनी चाहिए और कुछ करने का जज्बा होना चाहिए. सही क्रन्तिकारी पार्टी के नेतृत्व में मिहनतकास वर्ग के महान संघर्ष, समाजवादी समाज की स्थापना के लिए संघर्ष से जुड़ कर ही आज नवजवान अपने को गर्वान्वित कर सकता है, अपनी अकर्मंन्यता से मुक्ति पा सकता है
कॉफ़ी हाउसी-फेसबुकी-ब्लॉ गबहादुर रणछोड़ ''वामपंथियों'', पीत पत्रकारों, एन.जी.ओ.-पंथियों और कैरियरवादी निठल्लेव बुद्धिजीवियों की आदि के पांतो में शामिल हो कर कोई भी युआ व्यर्थ में अपने बौद्धिक और चारित्रिक पतन के सिवा कुछ भी हासिल नहीं कर सकता. संशय और अविश्वा स का माहौल बनाकर, युवाओं को दुनियादारी की नसीहत देकर उन्हें निरुत्सा हित करने की कोई भी कोशिस पूंजीवादी शोषण और दमन से त्रस्त युवाओं को सर्वहारा वर्ग के महान लक्ष्य के लिए चलने वाले संघर्ष से विमुख नहीं कर सकता क्योकि आज पूँजी की निरंकुश और जुल्मी व्यवस्था हर रोज नवजवानों को इस अन्याय पूर्ण व्यवस्था से लड़ने के लिए, इसे उखाड़ फेकने के लिए मजबूर कर रही है, उन्हें वैज्ञानिक समाजवाद का, मार्क्सवाद-लेनिनवाद का हथियार उठाने के लिए, समाजवाद के लिए मिहनतकास जनता के महान वर्ग संघर्ष में कूद पड़ने के लिए ललकार रही है.
एक सही क्रन्तिकारी पार्टी का हिस्सा बनने के पहले उसकी पहचान करना जरुरी है, विचारधारा और कार्यक्रम के ऊपर उनकी अवस्थिति को समझना जरुरी है. यह भी जानना जरुरी है कि हर सवाल का वे खुले दिमाग से और क्रन्तिकारी भावना से जबाब देने को तत्पर है या नहीं. या फिर लफ्फाजी भरी बाते ही करना जानते है, सवाल उठाने पर वे वेचैनी महसूस तो नहीं करते या अनावश्यक प्रचारात्मक टिपण्णी करने में ही ज्यादा मशगूल रहते है.
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