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Friday, 9 June 2023

सिलेसियाई बुनकरों का गीत* हाइनरिख़ हाइने, अनुवाद : सत्यम

*सिलेसियाई बुनकरों का गीत*
 हाइनरिख़ हाइने, अनुवाद : सत्यम


उनकी आँखें सूखी हैं क्योंकि आँसू नज़र धुँधलाते हैं,
दाँत कसकर भींचे हुए, वे अपने करघे चलाते हैं।
'हम बुन रहे हैं कफ़न तेरे लिए, ओ जर्मनी
हम बुन रहे हैं तिहरा अभिशाप तेरे लिए
रहे हम बुन, रहे हम बुन।
 
'एक अभिशाप उस ख़ुदा के लिए जिससे हम रोते रहे
भूख से मरते रहे और जाड़ों में खुले सोते रहे,
उम्मीदें बाँधीं, दुआएँ कीं, पुकारा उसे व्यर्थ ही,
वह हँसा हम पर, उपहास किया, बढ़ाया और दर्द ही।
रहे हम बुन, रहे हम बुन।
 
'एक अभिशाप राजा के लिए जो है अमीरों का ख़ैरख़्वाह,
ग़रीबों के दुख से जिसे आती उबासियाँ,
खसोटता है टैक्स जो बंजरों-मड़इयों से,
और हमें मरवाता है भाड़े के सिपइयों से।
रहे हम बुन, रहे हम बुन।
 
'एक अभिशाप उस पितृभूमि के लिए जिसे मानते थे अपनी,
जहाँ सिर्फ़ दुष्टता और बुराई ही है पनपी,
जहाँ मसल जाती हैं कलियाँ खिलने से पहले,
जहाँ गन्दखोर कीड़े मुटाते हुए फैले।
रहे हम बुन, रहे हम बुन।
 
खड़कता है करघा और घूमती है भरनी,
दिन-रात हम बुन रहे तेरा सर्वनाश, ओ जर्मनी,
हम बुन रहे हैं कफ़न तेरे लिए, बूढ़े जर्मनी,
हम बुन रहे हैं तिहरा अभिशाप तेरे लिए।
रहे हम बुन, रहे हम बुन।'

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