देश में अब बहुत ही कम प्रगतिशील पुस्तक की दुकान बची है, जिसमें से एक है बिहार की राजधानी पटना स्थित 'प्रगतिशील साहित्य सदन', जिसके संचालक हैं Suman Ji
ये तमाम आर्थिक परेशानियों का सामना करते हुए भी अपनी प्रगतिशील दुकान को बचाये रखे हैं, इनकी दुकान में आपको लगभग प्रगतिशील किताबें मिल जाएंगी। ऑनलाइन बाजार की दुनिया में इनके लिए प्रगतिशील साहित्य की दुकान चलाना एक बहुत बड़ी चुनौती है और तमाम परेशानियों के बावजूद अभी तक इन्होंने इस चुनौती को स्वीकार किया है। सुमन जी को इन्कलाबी सलाम ✊
इनकी दुकान पर अब मेरी जेल डायरी 'कैदखाने का आईना' भी उपलब्ध है, पटना के दोस्त यहाँ से ले सकते हैं।
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