*सत्यजीत रॉय की फ़िल्म चारुलता और पाथेर पंचाली का आरएसएस का विरोध*
अच्छा है आज का दिन देखने के लिए 'सत्यजीत रे' जिंदा नहीं हैं
कटक में होने वाले फ़िल्म फेस्टिवल में आर.एस.एस. से जुड़े संगठनों ने 4 फिल्मों के दिखाए जाने पर विरोध जताया है और आयोजनकर्ताओं को धमकी दी है। इनमें से 2 फिल्में सत्यजीत रे की कालजयी फिल्में 'पाथेर पांचाली' और 'चारुलता' है।
'पाथेर पांचाली' के बारे में इन कट्टरपंथी संगठनों की राय यह है कि इसमे भारत की गरीबी का महिमामंडन किया गया है और 'चारुलता' के बारे में कहना है कि इसमें प्रकारांतर से परिवार के भीतर यौन संबंधों (incest) को दिखाया गया है।
शायद यह पहली बार है, जब किसी संगठन ने सत्यजीत रे की फ़िल्म पर आपत्ति उठायी है।
हम कहां आ गए हैं?
मुझे इस वक़्त शिद्दत से 'फ़हमीदा रियाज़' याद आ रही हैं-
"तुम बिल्कुल हम जैसे निकले
अब तक कहाँ छुपे थे भाई
वो मूरखता वो घामड़-पन
जिस में हम ने सदी गँवाई
आख़िर पहुँची द्वार तुहारे
अरे बधाई बहुत बधाई
प्रेत धर्म का नाच रहा है
क़ाएम हिन्दू राज करोगे
सारे उल्टे काज करोगे
अपना चमन ताराज करोगे
तुम भी बैठे करोगे सोचा
पूरी है वैसी तय्यारी
कौन है हिन्दू कौन नहीं है
तुम भी करोगे फ़तवा जारी
होगा कठिन यहाँ भी जीना
दाँतों आ जाएगा पसीना
जैसी-तैसी कटा करेगी
यहाँ भी सब की साँस घुटेगी
भाड़ में जाए शिक्षा-विक्षा
अब जाहिल-पन के गन गाना
आगे गढ़ा है ये मत देखो
वापस लाओ गया ज़माना
मश्क़ करो तुम आ जाएगा
उल्टे पाँव चलते जाना
ध्यान न दूजा मन में आए
बस पीछे ही नज़र जमाना
एक जाप सा करते जाओ
बारम-बार यही दोहराओ
कैसा वीर महान था भारत
कितना आली-शान था भारत
फिर तुम लोग पहुँच जाओगे
बस परलोक पहुँच जाओगे
हम तो हैं पहले से वहाँ पर
तुम भी समय निकालते रहना
अब जिस नर्क में जाओ वहाँ से
चिट्ठी-विट्ठी डालते रहना"
https://youtu.be/uazeXZHTfGQ पाथेर पंचाली
https://youtu.be/RmKu7VE4IBA चारुलता
No comments:
Post a Comment