भव स्वतंत्रता का गान !
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अमरीका , यूरोप के कामगार साथियो
एशियाई , अफ्रीकी , मज़दूर भाइयो
दुनिया भर के सताए और ग़ुलाम बंदियो
एक साथ मिल के उठो सारे मेहनती अवाम
आओ , चलो गाएँ हम - भव स्वतंत्रता का गान !
दौलतों के दुर्ग चंद मुट्ठी भर ठिकाने हैं
ये हमारे श्रम को लूटने के जो घराने हैं
उनके पास मर्ज़ी के कानून हैं, बहाने हैं
उनकी हरकतों को , उनकी चालों को करें नाकाम
आओ , मिलके गाएँ हम - भव स्वतंत्रता का गान !
है मुनाफ़ा , बस मुनाफ़ा , उनके पोर-पोर में
सब तहस-नहस किया , निज लालचों की होड़ में
सारी दुनिया त्रस्त हाँफती है वहशी दौड़ में
ध्वस्त करो शोषणों - उत्पीड़नों का यह निजाम
आओ साथी, गाएँ हम - भव स्वतंत्रता का गान !
यह जो युद्ध से मची हैं हर तरफ तबाहियाँ
सुनो तो , लूटपाट की हैं एक सी कहानियाँ
नोचीं - रौंदी जा रहीं मेरी - तेरी जवानियाँ
तोड़ने होंगे उनके साथियो , जबड़े तमाम
आओ , साथ गाएँ हम - भव स्वतंत्रता का गान !
रंग-नस्ल , जाति-धर्म , भेदभाव भूलकर
आज का जो सच है वर्ग-भेद , वो कबूल कर
दुनिया के मज़दूरो ! चलो , बढ़ें एक उसूल पर
और हाथ में हो अपने लाल झंडे का निशान
आओ , आओ गाएँ हम - भव स्वतंत्रता का गान !
इस ज़माने का सरूप हमको ही बदलना है
पूंजी का ये राज , कामरेड ! अब तो ढहना है
ज़ुल्म की इस रात को; ढलना है, साथी ढलना है
हर दिशा से उगने वाला है नया - नया विहान
आओ , साथ गाएँ हम - भव स्वतंत्रता का गान !
--- आदित्य कमल
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