महाकाय मार्क्स और बौने अम्बेडकर के बीच फ़र्ज़ी एकरूपताएं खोजने में लगे अम्बेडकरी, उनके बीच एकमात्र समानता को नहीं देख पाए।
यह समानता, उनके धुर विरोधी विचारों नहीं, बल्कि उनकी सामाजिक-राजनीतिक हैसियत और भूमिका से जुड़ी है।
मार्क्स और अम्बेडकर, दोनों ने ही, उन सामाजिक वर्गों से खुला घात किया, जिनसे वे आए थे, जिनमें उनका जन्म, लालन-पालन और शिक्षा दीक्षा हुई थी।
जर्मन बुर्जुआज़ी में जन्मे और पले-बढ़े मार्क्स ने, उसके विरुद्ध विद्रोह कर, उसके शत्रु-पक्ष, सर्वहारा का पक्ष लिया और उसके ऐतिहासिक मिशन को अपना मिशन बनाकर, जीवन भर उसके पक्ष में और बुर्जुआज़ी के विरुद्ध डटे रहे। इस मिशन- समाजवादी क्रांति- के लिए, उन्होंने अपना सर्वस्व होम कर दिया।
अम्बेडकर, सर्वहारा वर्ग में पैदा हुआ, पला-बढ़ा और उसने भी अपने वर्ग से द्रोह किया। सर्वहारा से द्रोह कर, वह उसके शत्रु-पक्ष- शासक बुर्जुआज़ी- की गोद में जा बैठा और बुर्जुआ जनवाद का बड़ा पैरोकार बना। दलितों, गरीबों को धोखा देकर बुर्जुआ जनवाद के पीछे बांधे रखने में उसने महती भूमिका निभाई और इसके बदले उसने शासक बुर्जुआज़ी से जमकर बिल वसूली की। वह बुर्जुआ संविधान सभा और मंत्रिमण्डलों में उच्च पदों पर रहा और आजीवन पदों, पुरस्कारों के पीछे दौड़ता रहा।
Workers socialist party
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