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Friday, 9 December 2022

विघटनकारी नारों के पीछे कौन?

विघटनकारी नारों के पीछे कौन?

  जेएनयू में विघटनकारी नारे लिखे गये हैं, और सरकार उसकी जाँच कराने की बात कर रही है। सरकार जाँच तो करा सकती है मगर जाँच में महत्वपूर्ण वैज्ञानिक तथ्यों को छू भी नहीं सकती। वरना खुद बेनकाब हो जाएगी।

   जब यह बात वैज्ञानिक तथ्यों पर खरी उतरती है कि अमीर लोग ही शोषण कर सकते हैं तथा गरीब लोग शोषण नहीं कर सकते और यह भी सिद्ध हो चुका है कि अमीर आदमी चाहे किसी भी जाति-धर्म का हो वही शोषण कर सकता है। और यह भी देखा गया है कि अमीर लोग ही मँहगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, सूदखोरी, जमाखोरी, मिलावटखोरी, नशाखोरी, जुआखोरी, अश्लीलता को बढ़ावा देकर जनता को बेरहमी से लूट रहे हैं, और यह भी जाहिर हो गया है कि यही शोषकवर्ग ही उत्पीड़न को बढ़ावा देता है। धार्मिक या जातीय उत्पीड़न भी यही करवाता है तो ऐसे खतरनाक शोषक वर्ग से लड़ने की बजाय, जाति, धर्म, नस्ल, भाषा के नाम पर जनता आपस में क्यों लड़ रही है? जरूर कोई है जो जनता को गुमराह करके आपस में लड़ा रहा है। 

"मुसलमानों भारत छोड़ो", "ब्राह्मणों भारत छोड़ो" "सवर्णों भारत छोड़ो", "ब्राह्मणों कैम्पस छोड़ो", किसका नारा है? जयमूलनिवासी, विदेशी या डीएनए जाँच की बात कौन लोग कर रहे हैं? क्या यह सब छिपा है? नहीं, नहीं, यह सब जगजाहिर है। जनता को आपस में लड़ा कौन रहा है? यह छिपा नहीं है। विघटनकारी ताकतें यह सब डंका बजाकर कर रही हैं। खुलेआम उनके मंच लगते हैं, सरकार उनकी सुरक्षा करती है, आप उनके हजारों वीडियो सोशल मीडिया पर देख सकते हैं? अत: जातिधर्म के नाम पर जनता में विद्वेष फैलाने का काम कौन लोग कर रहे हैं, इसकी जांच कराने की कोई जरूरत नहीं है। जाँच तो इसकी होनी चाहिए कि इनको जातिवाद और साम्प्रदायिकता फैलाने के लिए धन कौन दे रहा? 

अगर इसकी सही से जाँच हो जाए तो पता चल जाएगा कि जो शोषक वर्ग दलितवादियों को चन्दा देता है वही शोषक वर्ग सवर्णवादियों को भी चन्दा देता है। जो शोषकवर्ग हिन्दूवादी संगठनों को चन्दा देता है वही शोषकवर्ग मुस्लिमवादी संगठनों को भी चन्दा देता है। 
सही जांच हो तो शोषक वर्ग बेनकाब हो जाएगा।
              रजनीश भारती
          जनवादी किसान सभा

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