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Wednesday, 9 November 2022

कुछ शायरी

वो मुझ को टूट के चाहेगा,छोड़ जाएगा !
मुझे ख़बर थी,उसे ये हुनर भी आता है !!

मोहसिन नक़वी !!

ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि,हर तक़दीर से पहले !
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे, बता तेरी रज़ा क्या है ?
अल्लामा इक़बाल !!

याद ने आकर, यकायक पर्दा खीँचा दूर तक !
में भरी महफिल में बैठा था,कि तन्हा हो गया !! 

सलीम अहमद !!

ये कैसा नशा है,मैं किस अजब खुमार में हूँ।
तू आके,जा भी चुका,मैं इंतज़ारमें हूँ।।

मुनीर नियाज़ी।।

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