Total Pageviews

Saturday, 12 November 2022

ईश्वर नहीं है यहां

कितना अच्छा है कि कोई  ईश्वर नहीं 
 है यहां
सिर्फ है  उसका सेमल के फल सा
खरगोश के सींग सा
बांझ के बेटे सा
भूस- भरे जर्जर बाघ सा
एक अर्थ हीन, खोखला,भुरभुराता हुआ नाम
जो आता रहता है वक्त -बेवक्त
धूर्त सत्ताधारियों, शोषक व्यापारीयों
और पाखंडी पुजारियों के काम
और जिसे भोले भाले बोधहीन  दीन- दु:खी लोग
लगाते रहते हैं अपने दु:ख- दर्दो पर
समझ कर बाम. 

रणजीत


No comments:

Post a Comment