आपके साथ कभी ये हुआ है कि आप कुछ ऐसे काम कर रहे हैं, जैसे आटा गूंथना या हाथों से मिट्टी निकालना या कोई भी ऐसा काम जिसमें आपके दोनों हाथ सने हुए हों या फिर आपने ग्लव्स डाल रखे हों और उसी वक्त आपकी नाक में या सर के पीछे या किसी ऐसी जगह खुजली होने लगे जहाँ आप सने हुए हाथ नहीं लगा सकते हों? ये सबके साथ होता है। क्या आपको पता है कि खुजली होती ही क्यों है? इसके कई कारण हो सकते हैं। जैसे कोई एलर्जिक प्रतिक्रिया, या त्वचा का सूखापन या फिर कोई बीमारी। और इसके अलावा ऐसी खुजली जिसका कोई कारण नहीं होता और यह कभी भी कहीं भी हो सकती है। जैसे आपके सर के पीछे, कमर में ऐसी जगह जहां आपका हाथ ही नहीं पहुंच पाए या फिर अभी जो आपके कान के पीछे या दाहिने घुटने पर या फिर कहीं पर एकदम से स्टार्ट हो गई हो क्योंकि अभी हम खुजली की बात कर रहे हैं। (अभी अभी आपने खुजाया भी है। राइट?)
तो खुजली होती क्यों है? इसके कई स्रोत हो सकते हैं। जैसे मच्छर के काटने से। जब मच्छर हमें खून पीने के लिए काटता है तो यह अपनी लार के साथ कुछ केमिकल हमारी बॉडी में छोड़ता है ताकि इसके खून पीने तक खून का थक्का न बन जाये और खून पीने में आसानी रहे। ये केमिकल जो खून का थक्का बनने (यानी कोएगूलेशन) से रोकते हैं इन्हें एन्टी कोएगूलेंट्स कहते हैं। साथ में ये केमिकल हमारे शरीर के लिए थोड़े से एलर्जिक होते हैं, और इनके हमारे शरीर में घुसने की प्रतिक्रिया में हमारा शरीर एक अन्य केमिकल छोड़ता है जिसका नाम है हिस्टामिन। हिस्टामिन हमारी रक्त केशिकाओं (केशिका यानी केश यानी बाल के समान सूक्ष्म रक्तशिराएँ) को काफी ज्यादा खोल देता है। इससे उस जगह खून का प्रवाह बढ़ जाता है और हमारे शरीर की प्रतिरोधक प्रणाली इस बाहरी खतरे (यानी एन्टी कोएगूलेंट्स) के खिलाफ सक्रिय हो जाती है। इसी वजह से इस जगह पर छोटी सी सूजन आ जाती है। दूसरा काम हिस्टामिन ये करता है कि इस जगह की उन तंत्रिकाओं को सक्रिय कर देता है जो खुजली का संदेश दिमाग तक लेकर जाती हैं। और इस तरह से खुजली शुरू हो जाती है। फिर हम जब हाथ से खुजाते हैं तो राहत मिलती है। हमारे इधर कहावत भी है कि जो मजा खाज करने में है वो राज करने में भी नहीं। खैर। खुजाने से ये राहत कैसे मिलती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जो तंत्रिकाएं खुजली का संदेश दिमाग तक लेकर जाती हैं वे असल में दर्द का सिग्नल लेकर जाने वाली तंत्रिकाओं की ही एक कैटेगरी होती हैं। जब हम खुजाते हैं तो एक तरह से हम हल्का दर्द पैदा कर रहे होते हैं जिसकी वजह से दिमाग खुजली के और हल्के सिग्नल से उसी जगह हो रहे हल्के दर्द वाले सिग्नल पर चला जाता है और खुजली से राहत के साथ आनंद की अनुभूति होती है। किसी एलर्जी की स्थिति में या फिर किसी इन्फेक्शन की स्थिति में भी यही हिस्टामिन काम करता है। एक बीमारी होती है स्केबीज। आम भाषा में इसे खाज लगना कहा जाता है। यह itch mite नामक एक परजीवी की वजह से होता है। यह परजीवी मरीज की त्वचा की परतों में फलता फूलता है और अंडे देता है। इस बीमारी में मरीज को भयंकर खुजली होती है। खासतौर पर रात के वक्त। इतनी भयंकर कि मरीज रात भर सो भी नहीं पाता। त्वचा पर इसके निशानों के नीचे यह परजीवी नंगी आंखों से देखा जा सकता है। यह पहली बीमारी है जिसके कारक जीव का पता मनुष्य को सबसे पहले लगा था। यह बहुत तेजी से फैलती है। बिस्तर, कपड़े शेयर करने से और यहां तक कि हाथ मिलाने से भी।
ये हो हुई मच्छर के काटने या फिर किसी एलर्जी या बीमारी की स्थिति में खुजली होने की वजह। लेकिन जो खुजली बिन बात होती है उसका क्या? जैसे अभी अभी आपको भी हुई। इसका कारण वैज्ञानिक बताते हैं कि हमारे विकास के दौरान हमारी त्वचा का विकास इस तरह से हुआ है कि यह किसी भी स्पर्श के प्रति बहुत संवेदनशील होती है। जब मानव का विकास हो रहा था तो उसे बड़े खतरों के अलावा जहरीले कीड़े मकोड़ों से भी खतरा होता था क्योंकि तब मनुष्य या मनुष्य के भी पूर्वज प्रजातियों के पास कपड़े भी नहीं होते थे। इसलिए हमारा दिमाग भी उसी तरह से कंडिशन्ड हुआ। कोई कीड़ा शरीर पर रेंगता है तो उसका पता चल जाता है साथ में खुजली भी होती है। जब हम खुजली करते हुए उस जगह पर हाथ चलाते हैं तो वह कीड़ा या कोई ऐसा जहरीला पत्ता या कोई भी हानिकारक चीज हम अपने शरीर से हटा देते हैं। लाखों साल के एवोल्यूशन ने दिमाग को इस तरह से कंडीशन किया है कि ये रक्षात्मक रेस्पॉन्स अपने आप बिना किसी ट्रिगर के भी अक्सर होता रहता है। सोचने से भी और बिना सोचे भी। कभी कभी किसी मरीज में एक साइकोलॉजिकल स्थिति हो जाती है कि उसे लगता है कि उसकी त्वचा पर या फिर त्वचा के नीचे कीड़े मकोड़े रेंग रहे हैं। और इस वजह से वह लगातार खुजाता रहता है। या फिर कभी कभी ये भी होता है कि किसी एक्सीडेंट या बीमारी की वजह से किसी मरीज का कोई अंग काटना पड़ जाता है। और अब उसे लगता है कि उसे उसी अंग में खुजली हो रही है जिसको काट दिया गया था। ये इसलिए होता है क्योंकि अंगभंग का हमारे शरीर के नर्वस सिस्टम यानि तंत्रिका तंत्र पर बहुत बुरा असर पड़ता है, इसलिए दिमाग को यह कंफ्यूजन हो जाता है कि खुजली उस अंग में हो रही है जो कि असल में है ही नहीं। इस क्षेत्र में वैज्ञानिक अभी और शोध कर रहे हैं। नई नई जानकारियां रोज सामने आ रही हैं। बीमारियों के लिए नई दवाएं भी बनाई जा रही हैं।
खैर। इमेजिन कीजिए। अगर आपको तीव्र खुजली होने लगे और आप खुजा न पा रहे हों तो आपको कैसा लगेगा? इटालियन कवि दांते एक कविता में नर्क का वर्णन करते हैं। इस नर्क में व्यक्ति को अनन्त काल तक खुजली से परेशान होने के लिए छोड़ दिया जाता है।
खाज नर्क भी है। खाज आनंद भी है। खाज बीमारी या बाहरी हानिकारक वस्तु या जीव के प्रति शरीर की प्रतिरोधक क्रिया भी है। और बीमारी का लक्षण भी है। यही इसका डायलेक्टिक है।
नावमीट
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