द्रविड़ लोग कोई भारत के मूलनिवासी नहीं थे। द्रविड़ लोग आज से 12000 साल पहले दक्षिण पश्चिम ईरान के zagros पर्वतीय क्षेत्र और इराक के सुमेर सभ्यता के क्षेत्र से आकर बसे थे। राखीगढ़ी के डीएनए सैंपल में ईरान के प्राचीन कृषक और पशुपालक समुदाय का डीएनए मिला है। द्रविड़ लोग वास्तव में भारत पर बसने वाले सबसे प्राचीन काकेशस नस्ल के लोग थे।नस्लीय रूप से द्रविड़ काकेशस नस्ल की अन्य जातियों जैसे आर्यों से मिलते जुलते लोग थे परंतु भाषाई और सांस्कृतिक रूप से कुछ अलग थे।
आम लोगों के मन में यह धारणा है कि द्रविड़ मतलब दक्षिण भारतीय होता है जो कि बिल्कुल गलत है। द्रविड़ लोग आज से 5000 साल पहले पाकिस्तान के सिंध प्रांत और बलूचिस्तान में निवास करते थे। पश्चिम एशिया के इराक और दक्षिण पश्चिमी ईरान से द्रविड़ लोग बलूचिस्तान के रास्ते भारत में प्रवेश किए थे।
बलूचिस्तान में द्रविड़ लोगों की बहुत बड़ी आबादी निवास करती थी और बलूचिस्तान द्रविड़ भाषा संस्कृति का केंद्र हुआ करता था।
भारतीय उपमहाद्वीप में द्रविड़ भाषाओं के इस मानचित्र को ध्यान से देखिए। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के आज भी द्रविड़ भाषा ब्राहुई (Brahui) बोली जाती है। बलूचिस्तान में भारी संख्या में द्रविड़ कुल के और द्रविड़ भाषा बोलने वाले ब्राहुई (ब्राहुई) लोगो कि मौजूदगी इस बात का सबूत है कि द्रविड़ लोग मूल रूप से दक्षिण पश्चिम ईरान और इराक की तरफ से आकर बसे है। इराक के सुमेरियन सभ्यता और सिंधु घाटी सभ्यता में अद्भुत सामंजस्य है। दक्षिण भारत की द्रविड़ भाषाओं के साथ बलूचिस्तान की ब्राहुई भाषा का अद्भुत सामंजस्य है।
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