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Tuesday, 3 May 2022

पत्रकार उर्मिलेश - विदेशी दुर्गुण

घोड़े पर चढ़ा दूल्हा अच्छा नहीं लगता
अगर वह दलित हो
तलवार जैसी मूंछ वाला युवक तो और भी अच्छा नहीं लगता 
अगर वह दलित हो
किसी शूद्र या पिछड़े का अच्छी नौकरी में या ऊपर के ओहदे पर होना भी अच्छा नहीं लगता
जोर से बोलने या सुरीली आवाज में गाने वाली दलित घर की लड़की अच्छी नहीं लगती 
चारपाई पर साथ बैठने वाला दलित हो या पिछड़ा, कोई भी अच्छा नहीं लगता
सवाल करने वाला अच्छा नहीं होता
धरम का रास्ता छोडने वाला अच्छा नहीं लगता
धरम में सबका काम और ओहदा तय है
नियम और लीक से हटकर चलने वाले अच्छे नहीं होते
ये सब विदेशी दुर्गुण हैं 
अपने यहां तो बच्चों को शुरू से समझाया जाता है
बड़ों से बहस नहीं करते
बडों की बातों पर सवाल नहीं करते
'अपना मीडिया' अच्छा लगता है-'शुद्ध स्वदेशी-सवर्ण' 
बिल्कुल अपने टीवीपुरम् की तरह संस्कारी
विदेशी मीडिया अच्छा नहीं लगता 
उसके समाचार, समीक्षाएं और सर्वेक्षण सब फ़ालतू होते हैं 
अपने यहां भी उसी तर्ज पर 'गिटिर-पिटर' करने वाले
कुछ आ गये हैं 
वे बेमतलब सवाल करते हैं 
पर उन्हें पढते ही कितने
उन्हें सुनते ही कितने
सब बेमतलब
सवाल करने वाले अच्छे नहीं होते
धर्म और विकास के रास्ते में अवरोध होते हैं 
सवाल करना स्वदेशी गुण नहीं 
स्वदेशी सत्ता से सवाल करने का औचित्य ही क्या है
देश-धरम की नजर से तो 
ये डेमोक्रेसी भी ठीक नहीं 
वह स्वदेशी नहीं 
डेमोक्रेसी में लोग खराब हो जाते हैं 
वे सवाल करने लगते हैं
सहमत और असहमत होना सीख लेते हैं 
सवाल करना अच्छा नहीं
सवाल करते मीडिया की तरह सवाल करता आदमी भी अच्छा नहीं लगता

वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश

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