सूनामी आने ही वाली है,
भारत की अर्थव्यवस्था सितंबर से भयानक मंदी में डूबने वाली है। हालत श्रीलंका से भी खराब होगी; यह तय मानिए।
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार फिलहाल 600 बिलियन डॉलर के नीचे है। इसमें सितंबर तक खास बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं है।
इसी सितंबर में देश को 256 बिलियन डॉलर का विदेशी क़र्ज़ चुकाना है। फिर बटुए में कितने बचेंगे यह हिसाब आप लगा लीजिए।
अगले साल मार्च तक देश का कुल क़र्ज़ 153 लाख करोड़ का हो जाएगा। जबकि 2014 में यह 53 लाख करोड़ था।
भारत का व्यापार घाटा मार्च 2022 में 18.51 बिलियन था। निर्यात के मुकाबले देश का आयात 24% से ज़्यादा है।
देश के बैंकों ने 2014 के बाद से अमीरों का करीब 11 लाख करोड़ का लोन माफ किया है।
इस साल के आखिर तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में वस्तुओं के दाम बेतहाशा बढ़ेंगे। यानी आयात लगातार महंगा होता जायेगा और बटुए से डॉलर निकलेंगे ज़्यादा, आएंगे कम।
अब आप बताएं कि खीसे में सिर्फ़ 350 बिलियन डॉलर रखकर देश कितने दिन तक महंगा आयात बिल चुका सकेगा?
ज़्यादा से ज़्यादा 3 महीने? उसके बाद? देश दिवालिया हो जाएगा? क्या सोना गिरवी रखेंगे? या फिर कुछ बेचेंगे? कुछ बचा भी है?
कमर पर सीट बेल्ट बांध लें। प्लेन क्रैश होने वाला है। बचेंगे तो ही मस्जिद/मकबरे खोद पाएंगे।
(साभार—Soumitra Roy )
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