Total Pageviews

Saturday, 7 May 2022

बगैर कोख वाली औरतों के गांव

हम औरतों को कोख निकलवानी पड़ती है, ताकि हर महीने 4-5 दिन का काम न छिने और रेप हो तो बच्चा भी न ठहरे।

रिपोर्ट महाराष्ट्र के बीड जिले की है, गन्ने के खेत में काम करने वाली औरतें 20-30 साल की उम्र में ही यूट्रस यानी बच्चेदानी निकलवा रही हैं। साल 2016 से अगले तीन सालों में 4 हजार से ज्यादा औरतों ने बच्चेदानी ऐसे निकलवा डालीं, इनके पास अपनी वजहें हैं। पीरियड्स के दौरान छुट्टी लेने पर पैसे कटते। मजदूरी के लिए दूसरे राज्य जाने पर छेड़छाड़ और रेप आम है। छुटकारा पाने के लिए वे बच्चेदानी ही हटवाने लगीं। बीड के कई इलाके अब बगैर कोख वाली औरतों के गांव कहलाते हैं ।

कुल 14 बरस की थी, जब शादी हुई। पति के साथ गन्ना काटने दक्षिण जाना पड़ा। खाली खेत में टिन की झोपड़ी। दरवाजे की जगह साड़ी का परदा। सूना पाकर ठेकेदार आता और नोंच-खसोट के निकल जाता। हम कुछ नहीं कर पाते थे मन भरके रोना भी नहीं। पेट का डर मुंह सिल देता है।

मैं पेट से थी। सातवां महीना था, जब गांव लौटने का मन हुआ। पति ने ठेकेदार से बात की तो उसने मना कर दिया। कहा कि पहले काम करो, फिर जाते रहना। पति जितना गिड़गिड़ाता, वो उतना अनाप-शनाप बोलता। मुझे भी पीटा। हम कुछ नहीं कर सके। वहीं रहना पड़ा। लौट भी जाते तो क्या खाते। गांव में न खेत है, न कारखाना ।

अठमासे पेट के साथ रोज 3 हजार किलो गन्ना ट्रक पर चढ़ाया। लकड़ी की कच्ची सीढ़ी पर चढ़ते हुए जितना पैर कांपते, उससे ज्यादा दिल थरथराता। अब सब झंझट खत्म! 30 साल की उम्र में बच्चेदानी निकलवा दी। न पीरियड होंगे और न बच्चा ठहरने का डर!

इस पर सोशल वर्कर मनीषा सीताराम घुले कहती हैं- गन्ने के खेतों में काम करते हुए कई औरतों के कईयों बार रेप हो जाते हैं, लेकिन वे पति तक से नहीं कह पातीं। उन्हें डर रहता है कि पति उन्हीं पर इलजाम लगाएगा।

बहुतों के साथ यही हुआ। अब औरतें चुप रहती हैं। यूट्रस निकलवाने की ये भी बड़ी वजह है। बच्चा ठहरने का डर खत्म हो जाता है। पीरियड्स का झंझट चला जाता है। ये बात अलग है कि इसके बाद नए दर्द शुरू हो जाते हैं- उम्र से पहले उम्र बीत जाने का डर । 

No comments:

Post a Comment