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Sunday, 15 May 2022

पीकर मानूँगा

बड़ी मुद्दत से सजाया है मैंने शाम को।
पीकर मानूँगा  न गिरने दूँगा जाम को।।

           "सागर"

साक़िया!मन्दिर ओ मस्ज़िद नहीं,मयख़ाना है
देखना _यां भी ग़लत लोग ना आने लग जाएं?¿
*अहमद फ़राज़

Ek bilari wala gustakhi maaf ho
Saaki sharaab mat pi masjid me baith ker
Ek hi bottle kahi khuda na 
Chhen le🙏


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