Ram Ayodhya Singh, जो कि राजेन्द्र कॉलेज छपरा के सेवानिवृत्त प्राधानाध्यापक है, लिखते है:
"अनुत्पादक काम में लगा कोई सर्वश्रेष्ठ होने का दावा कैसे कर सकता है? *ब्राह्मण* हो या कोई और, जो उत्पादन नहीं करता वह श्रेष्ठ नहीं निकृष्ट है. धर्म में लगे सभी लोग अनुत्पादक काम में लगे हैं, इसलिए वे *हरामखोर* हैं, और हरामखोर कभी सर्वश्रेष्ठ नहीं हो सकता."
क्या भाषा है प्रधानाध्यापक महोदय का। मैंने उनसे प्रश्न किया है:
'लेकिन जो व्यक्ति रास्ते के पत्थर को पूजनीय भगवान बना दे, बौद्धिक रूप से वो श्रेष्ठ है या उसके कहने पर भगवान से मनोकामना पूरा होने की लालच में या किसी आसन्न विपत्ति से बचने के लिए धन, प्रसाद और चढ़ावा चढ़ाने वाले हजारों लोग श्रेष्ठ है?'
जबाव अभी तक नही मिला है।
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