वैभव दिक्षित जी ! आप पंडित / ब्राह्मण तो जरूर हैं लेकिन आप कांग्रेसी ब्राह्मण हैं। मैंने जो बात कही है वह सिर्फ भाजपाई ब्राह्मणों के लिए लागू होती है। आपके लिए नहीं।
आजकल भाजपा और आरएसएस में जितने भी ब्राह्मण अथवा अन्य समुदाय के लोग भी शामिल हैं, वे सभी लोग सारे भारतीयों को कह रहे हैं कि हिंदू बन जाओ, हिंदू बन जाओ। भारत को हिंदू राष्ट्र बनाओ। इसीलिए उन लोगों को मैंने ये बात कही है।
जबकि कांग्रेस में शामिल किसी भी जाति का आदमी कभी किसी को "हिंदू बन जाओ, हिंदू बन जाओ" नहीं कहता है। जहां तक आप का सवाल है, आप ब्राम्हण तो हैं, लेकिन कांग्रेसी ब्राह्मण हैं। इसलिए आपको कोई भी ब्राह्मण ऐसा नहीं मिला जो सबको हिंदू बनाना चाहता है। क्योंकि जो भी ब्राह्मण आपको मिला वो सब कांग्रेसी ही होगा अथवा कांग्रेसी विचारधारा का होगा।
ब्राह्मण तो जवाहरलाल नेहरू भी थे, ब्राह्मण तो मोतीलाल नेहरू भी थे, ब्राह्मण तो श्रीमती इंदिरा गांधी भी थीं, लेकिन उन लोगों ने कभी किसी को यह नहीं कहा कि हिंदू बन जाओ अथवा यह नहीं कहा कि भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना है, क्योंकि ये सभी लोग ब्राह्मण होते हुए भी कांग्रेसी थे।
दूसरी तरफ ब्राह्मण तो मुरली मनोहर जोशी भी हैं, ब्राह्मण तो लालकृष्ण आडवाणी भी हैं, ब्राह्मण तो अटल बिहारी वाजपेई भी हैं / थे, ब्राह्मण तो सुब्रमण्यम स्वामी भी हैं, ब्राह्मण तो मोहन भागवत भी हैं, ब्राह्मण तो हेडगेवार, गोलवलकर और सावरकर भी थे और तो और भारत का सबसे बड़ा ब्राह्मण लेकिन ढोंगी, पाखंडी और स्वतंत्र भारत का पहला आतंकवादी ब्राह्मण तो नाथूराम गोडसे भी था, जिसने सिर्फ विचारधारा ना मिलने के कारण महात्मा गांधी की बेरहमी से हत्या कर दी।
हां, तो ये सारे लोग ब्राह्मण तो जरूर थे / हैं, लेकिन ये लोग ब्राह्मण होते हुए भी भाजपाई ब्राह्मण थे / हैं, इसीलिए इन लोगों ने हमेशा सबको कहा, सारे भारतीयों को कहा कि हिंदू बन जाओ और भारत को हिंदू राष्ट्र बना दो, सारे मुस्लिमों को पाकिस्तान भेज दो।"
कांग्रेसी ब्राह्मणों और भाजपाई ब्राह्मणों में यही अंतर है।
एक चीज और छूट रही है, वो यह कि ब्राह्मण तो कम्युनिस्ट पार्टी भाकपा माले के राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य जी भी हैं। लेकिन उनके मुंह से तो मैंने कभी हिंदू-मुस्लिम, जात - पात, धर्म - कर्म, छूत - अछूत, पाखंड, आडंबर इत्यादि फ़ालतू चीजों का नाम तक नहीं सुना।
निष्कर्ष यह है कि चाहे किसी भी जाति, धर्म का आदमी क्यों ना हो, उसके विचार कैसे हैं, वह क्या सोचता है, इसके अनुसार उस व्यक्ति का समाज में स्थान बनता है। ना कि किसी भी जाति विशेष का आदमी सिर्फ अपनी जाति की विशेषता से ही समाज में कोई स्थान बना ले ऐसा संभव नहीं। हर व्यक्ति अपने अच्छे विचारों और अच्छे कर्मों से ही समाज में एक प्रतिष्ठित पद और पवित्र स्थान बनाता है।
जहां तक मेरा और मेरी जैसी विचारधारा के लोगों का सवाल है तो मैं अपना बता दूं कि मैं ब्राह्मणों से नफरत नहीं करती, बल्कि सिर्फ और सिर्फ ब्राह्मणवाद से नफरत करती हूं। क्योंकि ब्राह्मण तथा ब्राह्मणवाद में जमीन - आसमान का अंतर होता है।
ब्राह्मण एक जाति का नाम है जिसके अंतर्गत हम जैसे सामान्य इंसान आते हैं। जबकि ब्राह्मणवाद समाज में पाखंड, ढोंग - ढकोसला, ऊंच - नीच, जात - पात, छूत - अछूत, भूत - भगवान इत्यादि तरह-तरह के अंधविश्वास तथा आडंबर फैलाने की एक साजिश का नाम है। ब्राह्मणवाद नामक साजिश किसी भी जाति का आदमी फैला सकता है। ब्राह्मणवाद जिसे मनुवाद भी कहते हैं, समाज को तोड़ने की एक साजिश है। इस साजिश को फैलाने का काम हर जाति के वैसे लोग करते हैं जो खुद भी ब्राह्मणवाद अथवा मनुवाद के जाल में फंसे हुए होते हैं।
इसलिए प्लीज ! समझने की कोशिश कीजिए। 🙏🙏🙏
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