Total Pageviews

Saturday, 20 August 2022

तालिबान- एकआतताई संगठन : शैलेश

तालिबान एक पिछड़ी ,बर्बर  ,स्त्री विरोधी धर्मसत्ता  के खोल  में आतताई संगठन है।   यह धर्म सत्ता का अपने को प्रतिनिधि के तौर पर पेश करता है पर  इसकी बुनियाद  में  अफीम और उसके उत्पाद से बननेवाली विविध नशीले पदार्थ हैं। यह दुनिया भर में नशीले पदार्थों की आपूर्ति करता रहा है।  इसकी नैतिकता  व धार्मिकता   नकली व मनुष्य विरोधी है।  हर तरह के   अत्याचार, अन्याय, हत्या, लूट और बलात्कार को अपनी शिनाख्त  बनानेवाला यह संगठन  विश्व मानवता के लिए भयानक खतरा है। इसके खात्मे के लिए  विश्व समुदाय को आगे आने की जरूरत है।  
 धर्म आधारित सत्ताएं क्रूरता के चरम पर होती हैं। इनकी ज़द में स्त्रियां, बच्चे व निर्धन लोग आते हैं, अस्तु हमें हर तरह की धर्म सत्ताओं का विरोध करना चाहिए। यह कहना बेमानी  है कि  अमुक धर्म तमुक धर्म से बेहतर है।  आज हमारे यहां भी कुछ लोग भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने का सपना, संकल्प और प्रयत्न किए जा रहे हैं, हमें ऐसे लोगों व प्रवृत्तियों का भी पुरजोर विरोध करना चाहिए।  
 धर्म की  आदर्शवादी नैतिकताएं आज के औद्योगिक व अर्बन समाज में लगभग    अप्रासंगिक हो चुकी हैं। धर्म सत्ता वर्चस्ववादी शक्तियों को  प्रश्रय देता है। उनके सामने घुटने टेकना है। वहां स्वतंत्रता, समानता, बंधुता , सहिष्णुता  वैज्ञानिकता और आधुनिकता के लिए कोई स्थान नहीं है। वहां धर्मादेश ही अंतिम  सत्य  होता है।   ,सुकरात ,जीसस, आर्यभट्ट ,  ब्रूनो, गैलेलीयो , मंसूर , गांधी, इंदिरा गांधी,  बेअंतसिंह, अवतार सिंह पाश   दाभोलकर, पान्सारे, कलबुर्गी,  गौरी लंकेश आदि ऐसे असंख्य नाम हैं, जिन्हें धर्म के  नाम पर   मारा गया।   अस्तु धर्म आधारित सत्ता व्यवस्थाएं मनुष्य  विरोधी हैं,   कम से कम आज  इक्कीसवीं सदी में   हमें यह समझ लेना चाहिए।  
 तालिबान के विरुद्ध अफगानिस्तान के लोगों को लड़ने का हौसला बनाना चाहिए। बाहर की शक्तियों से स्थिति तो नियंत्रित की  जा सकती है, पर बदलाव तो उन्हें खुद करना पड़ेगा। जिस तरह से बांग्लादेश ने किया।  जनरल इरशाद के खिलाफ वहां की जनता खड़ी हुई। उसी तरह से अफगानिस्तान की अवाम को ज़हालत से निकलने की पुरजोर कोशिश करनी चाहिए।  हम  तालिबानियों की हर अन्याय व क्रूरतापूर्ण कुकृत्य की निंदा करते हैं। विनम्र निवेदन।

No comments:

Post a Comment