हालांकि हम जानते है कि पूंजीवाद में सभी कृषि उत्पाद के लिये लाभकारी कीमत की गारंटी नही दी जा सकती, यह सिर्फ समाजवाद में ही सम्भव है; फिर भी अगर ये किसान लहसून के लिये एक वाजिब कीमत(समर्थन मूल्य) की मांग इस अम्बानी-अडानी की चहेती सरकार से करे तो इस मांग का विरोध कोई कैसे कर सकता है!लहसुन की कीमत न मिलने पर लहसुन की बोरियो को पानी मे फेका जाए या इस सरकार से लहसुन का समर्थन मूल्य मांगा जाए?
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