जहां तक मेरी जानकारी है, तीन कृषि कानून का विरोध एवम MSP को सुनिश्चित करने के लिये कानून की मांग को ले कर चलने वाले संयुक्त किसान आंदोलन का समर्थन बिगुल को छोड़ कर लगभग सारे वाम एवम प्रगतिशील संगठन कर रहै है। आपका मजदूर यूनियन भी किसानों के चल रहे आंदोलन के समर्थन में संघर्ष में शामिल रहा है, स्टेटमेंट भी दिया है जिसे आप अपने यूनियन के व्हाट्सअप ग्रुप में देख सकते है।
बिगुल खुलेआम विरोध में है और विरोध में कई लेख भी इस संदर्भ में प्रकाशित किया है।
मैं भी मोदी सरकार के खिलाफ चलने वाले किसान आंदोलन के विरोध में नही हूँ।बल्कि जो विरोध में है उनका विरोध करता रहा हूँ।
MSP पर शुरू से मेरी मान्यता रही है कि पूंजीवाद में किसी भी चीज की गारंटी नही दी जा सकती। अभी तक दी जा रही MSP का फायदा कुछ मुट्ठी भर किसानों को ही मिल पा रहा था। समाजवाद में ही पूरे कृषि उपज के वाजिब कीमत की गारंटी की जा सकती है।
हम ऐसा कभी नही कहते कि पूंजीवाद के अंदर सभी किसानों को MSP मिल सकताहै। किसानों का आंदोलन एम एस पी के लिये जो चल रहा है, क्या उसके सन्दर्भ में यह कहने की जरूरत नही है कि पूंजीवाद में सभी कृषि उपज के लिये वाजिब कीमत की गारंटी नही की जा सकती? और ऐसा कहने वाला कौन संगठन है? क्या आपके यूनियन की तरफ से ऐसा कोई लेख या स्टेटमेंट दिया गया है?
क्या आप लोग किसान आंदोलन के msp की मांग के विरोध में है? क्या अभी तक आपके भाषण, वक्तव्य या लेख में यह आया है?
जहां तक मेरी बात है, जैसा कि मैंने पहले बताया है, मैं भी मोदी सरकार के खिलाफ चलने वाले किसान आंदोलन के विरोध में नही हूँ।बल्कि जो विरोध में है उनका विरोध करता रहा हूँ। हाल के पोस्ट में किसान आंदोलन के खिलाफ बिगुल के विरोध को ध्यान में रख कर ही लिखा गया है। आप देखे:
"हालांकि हम जानते है कि पूंजीवाद में सभी कृषि उत्पाद के लिये लाभकारी कीमत की गारंटी नही दी जा सकती, यह सिर्फ समाजवाद में ही सम्भव है; फिर भी अगर ये किसान लहसून के लिये एक वाजिब कीमत(समर्थन मूल्य) की मांग इस अम्बानी-अडानी की चहेती सरकार से करे तो इस मांग का विरोध कोई कैसे कर सकता है!लहसुन की कीमत न मिलने पर लहसुन की बोरियो को पानी मे फेका जाए या इस सरकार से लहसुन का समर्थन मूल्य मांगा जाए?"
अब इसमें क्या गलत है? किसानों को तो हम कह ही रहे है कि 'पूंजीवाद में सभी कृषि उत्पाद के लिये लाभकारी कीमत की गारंटी नही दी जा सकती, यह सिर्फ समाजवाद में ही सम्भव है', फिर भी अगर किसानों को एम एस पी छोड़िये, अगर लागत भी नही निकल रहा है और वे पूंजीवाद के अंदर सरकार से वाजिब कीमत की मांग करते है, आंदोलन करते है, तो हम उनका विरोध कैसे और किस हक से करे। मोदी के खिलाफ उठ खड़े, चलिए एम एस पी के लिये ही सही, हम विरोध क्यों करे? इस काम को तो भाजपा वाले कर ही रहे है। हम विरोध नही कर सकते, हम इतना ही कह सकते है कि पूंजीवाद वाजिब कीमत की गारंटी नही दे सकता, समाजवाद ही दे सकता है। आरंभ से ले कर अभी तक मोटा मोटी मेरा यही स्टैंड रहा है। अजय कुमार और मुकेश असीम का ग्रुप भी पहले एम एस पी के विरोध में था, आज उनका भी यही स्टैंड है। पार्थ का भी लगभग यही स्टैंड है।
'ऐसी स्थिति में किसानों की मांग और उनका आंदोलन एम एस पी के लिए जो चल रहा है' उसका समर्थन आपका यूनियन किस आधार पर कर रहा है या उसका विरोध कर रहा है, कृपया स्पष्ट करते तो बेहतर होता।
बिगुल खुलेआम विरोध में है और विरोध में कई लेख भी इस संदर्भ में प्रकाशित किया है।
मैं भी मोदी सरकार के खिलाफ चलने वाले किसान आंदोलन के विरोध में नही हूँ।बल्कि जो विरोध में है उनका विरोध करता रहा हूँ।
MSP पर शुरू से मेरी मान्यता रही है कि पूंजीवाद में किसी भी चीज की गारंटी नही दी जा सकती। अभी तक दी जा रही MSP का फायदा कुछ मुट्ठी भर किसानों को ही मिल पा रहा था। समाजवाद में ही पूरे कृषि उपज के वाजिब कीमत की गारंटी की जा सकती है।
हम ऐसा कभी नही कहते कि पूंजीवाद के अंदर सभी किसानों को MSP मिल सकताहै। किसानों का आंदोलन एम एस पी के लिये जो चल रहा है, क्या उसके सन्दर्भ में यह कहने की जरूरत नही है कि पूंजीवाद में सभी कृषि उपज के लिये वाजिब कीमत की गारंटी नही की जा सकती? और ऐसा कहने वाला कौन संगठन है? क्या आपके यूनियन की तरफ से ऐसा कोई लेख या स्टेटमेंट दिया गया है?
क्या आप लोग किसान आंदोलन के msp की मांग के विरोध में है? क्या अभी तक आपके भाषण, वक्तव्य या लेख में यह आया है?
जहां तक मेरी बात है, जैसा कि मैंने पहले बताया है, मैं भी मोदी सरकार के खिलाफ चलने वाले किसान आंदोलन के विरोध में नही हूँ।बल्कि जो विरोध में है उनका विरोध करता रहा हूँ। हाल के पोस्ट में किसान आंदोलन के खिलाफ बिगुल के विरोध को ध्यान में रख कर ही लिखा गया है। आप देखे:
"हालांकि हम जानते है कि पूंजीवाद में सभी कृषि उत्पाद के लिये लाभकारी कीमत की गारंटी नही दी जा सकती, यह सिर्फ समाजवाद में ही सम्भव है; फिर भी अगर ये किसान लहसून के लिये एक वाजिब कीमत(समर्थन मूल्य) की मांग इस अम्बानी-अडानी की चहेती सरकार से करे तो इस मांग का विरोध कोई कैसे कर सकता है!लहसुन की कीमत न मिलने पर लहसुन की बोरियो को पानी मे फेका जाए या इस सरकार से लहसुन का समर्थन मूल्य मांगा जाए?"
अब इसमें क्या गलत है? किसानों को तो हम कह ही रहे है कि 'पूंजीवाद में सभी कृषि उत्पाद के लिये लाभकारी कीमत की गारंटी नही दी जा सकती, यह सिर्फ समाजवाद में ही सम्भव है', फिर भी अगर किसानों को एम एस पी छोड़िये, अगर लागत भी नही निकल रहा है और वे पूंजीवाद के अंदर सरकार से वाजिब कीमत की मांग करते है, आंदोलन करते है, तो हम उनका विरोध कैसे और किस हक से करे। मोदी के खिलाफ उठ खड़े, चलिए एम एस पी के लिये ही सही, हम विरोध क्यों करे? इस काम को तो भाजपा वाले कर ही रहे है। हम विरोध नही कर सकते, हम इतना ही कह सकते है कि पूंजीवाद वाजिब कीमत की गारंटी नही दे सकता, समाजवाद ही दे सकता है। आरंभ से ले कर अभी तक मोटा मोटी मेरा यही स्टैंड रहा है। अजय कुमार और मुकेश असीम का ग्रुप भी पहले एम एस पी के विरोध में था, आज उनका भी यही स्टैंड है। पार्थ का भी लगभग यही स्टैंड है।
'ऐसी स्थिति में किसानों की मांग और उनका आंदोलन एम एस पी के लिए जो चल रहा है' उसका समर्थन आपका यूनियन किस आधार पर कर रहा है या उसका विरोध कर रहा है, कृपया स्पष्ट करते तो बेहतर होता।
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