*मजदूर दिवस*
एक नहीं,कई-कई पीढ़ियों को वार देंगे
लड़ते हुए हम तुमसे सदियाँ गुज़ार देंगे
अँधेरों ने मेरे हिस्से का उजाला न दिया तो
हम रात के सीने में ख़ंजर उतार देंगे
*राज प्रभाकर*
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14वीं सदी के अंग्रेज किसानों के एक विद्रोह में उनका नारा वो बडा सरल सा सवाल था जिसका जवाब शासक वर्ग व उसके बुद्धिबेचू कभी नहीं दे सकते -
जब आदम-हव्वा दुनिया में थे, तब भद्रजन कौन थे?
गौरतलब है कि जेंटलमैन/लेडी, सज्जन या भद्रलोक/भद्र महिला सभी भाषाओं में ये शब्द दूसरों के श्रम की लूट पर जीने वाले संपत्ति मालिकों के लिए ही प्रयुक्त होते हैं, पसीना बहाने वाले मेहनतकश जेंटलमैन/लेडी नहीं होते। सवाल सीधा था कि आदम-हव्वा के समय में जेंटलमैन अर्थात निजी संपत्ति मालिक नहीं थे तो निजी संपत्ति कहां से आई, कैसे बनी।
यह बहुत सरल सवाल निजी संपत्ति की व्यवस्था के हमेशा से चले आने, कुदरती होने जैसे शासक वर्ग और उसके धर्मों, दर्शन, नैतिकता, आदि के प्रचार पर सीधी चोट था।
आज जब आधी से अधिक आबादी पूरी तरह संपत्ति विहीन अर्थात सर्वहारा बना दी गई है, जिंदा रहने वास्ते रोज अपना शरीर अर्थात श्रम शक्ति बेचना उसकी मजबूरी है, जबकि लगभग दस फीसदी के पास दौलत के अंबार इकट्ठा हैं, यह सवाल इस मजदूर वर्ग को और भी ऊंची आवाज में बुलंद करना होगा, इन मालिकों की संपत्ति को जब्त कर उसे सामाजिक संपत्ति बनाना होगा ताकि जो उत्पादन में हाथ लगायेगा, वही खाने के लिए हाथ बढाने का हकदार होगा, बैठकर खाने की गुंजाइश नहीं होगी।
1 मई मजदूर दिवस का शिकागो के वीर मजदूर शहीदों के खून से लाल झंडा यही याद दिलाता है कि यह लडाई अभी भी जारी है, पूर्ण विजय तक जारी रहेगी।
मई दिवस जिंदाबाद!
*मुकेश असीम*
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*आह्वान*
आओ एक नये समाज बनाने की
राह में बढ़ें।
वही समाज जिसके सपने के लिए
शिकागो के मजदूर शहीद हुए
वही सपना जिसके लिए
रुस व चीन की धरती लाल हुई
और लाल झंडे का परचम लहराया
जिसके बाद, उस सपने के लिए
होने लगे पूरे विश्व में संघर्ष
हां शोषण मुक्त समाज का सपना
बराबरी के समाज का सपना
मेहनतकशों के सत्ता का सपना
जिस सपने के लिए
आज भी जगह-जगह हो रहे हैं संघर्ष
अपने देश के अंदर भी
इस बदलाव के लिए
चल पड़े हैं कई लोग संघर्ष की राह।
आओ अपने स्वार्थ को भूलकर
एक ऐसे समाज बनाने की
राह में बढ़ें
दमन और शोषण को सहते हुए
बलिदान की राह पर चलते हुए
पूरी तत्परता से संघर्ष करते हुए
आओ पूरे आसमां में गूंजाए
इंकलाब के नारे
मजदूर एकता जिंदाबाद
इंकलाब जिंदाबाद
और आह्वान करें
इस बेहतर सपने के लिए
दुनिया के मजदूरों एक हो।
दुनिया के मेहनतकशों एक हो।।
*इलिका प्रिय*
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