साम्राज्यवाद विरोधी वियतनामी योद्धा : हो ची मिन्ह
2 सितंबर हो की बरसी पर
(19 May 1890 - 2 Sep. 1969)
☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️
हो चि मिन्ह का जन्म मध्य वियतनाम के किम लियन ग्राम में एक अध्यापक और चिकित्सक के परिवार में 19 मई सन् 1890 ई. को हुआ था।
हो चि मिन्ह जन्म के समय 'ङ्युएन शिन्ह कुंग' के नाम से जाने जाते थे, किंतु 10 वर्ष की अवस्था में इन्हें 'ङ्युएन तत थाऐन्ह' के नाम से पुकारा जाने लगा। इनके पिता को भी राष्ट्रीयता के कारण गरीबी की जिंदगी बितानी पड़ी। उनका देहांत सन् 1930 ई. में हुआ। इनकी बहन 'ङ्युएन थि थाऐन्ह' को कई वर्षों तक जेल की सजा तथा अंत में देश निकाले का दंड दिया गया। ऐसे फ्रांसीसी साम्राज्यवाद विरोधी परिवार में तथा भयंकर साम्राज्यवादी शोषण से पीड़ित देश वियतनाम में, जहाँ देश का नक्शा लेकर चलनेवालों को देशद्रोह की सजा दी जाती थी, हो ची मिन्ह का जन्म हुआ था।
हो चि मिन्ह ने फ्रांस, अमेरिका, इंग्लैंड तीनों देशों की यात्रा में सर्वत्र साम्राज्यवादी शोषण को अपनी आँखों से देखा था। 1917 की रूसी क्रांति ने 'हो' को अपनी ओर आकर्षित किया और सभी समस्याओं का हल 'हो' को इसी अक्टूबर क्रांति में दिखाई पड़ा। 'हो' ने तब मार्क्सवाद और लेनिनवाद का गहरा अध्ययन किया और फ्रांसीसी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बन गए। इसी कम्युनिस्ट पार्टी की मदद और समर्थन से हो चि मिन्ह ने फ्रांस में एक क्रांतिकारी पत्रिका 'ल पारिया' निकालना आरंभ किया।
'ल पारिया' फ्रांसीसी साम्राज्यवाद के विरुद्ध उसके सभी उपनिवेशों में शोषित जनता को क्रांति के लिए प्रोत्साहित करती थी। 1923 में पार्टी की तरफ से 'हो' को अंतरर्राष्ट्रीय कम्युनिस्ट पार्टी के पांचवे सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए सोवियत रूस भेजा गया। वहीं पर 1925 में वो स्टालिन से मिले। 'हो' को कम्युनिस्ट अंतर्राष्ट्रीय की ओर से चीन में क्रांतिकारियों के संगठन तथा हिंदचीन में राष्ट्रीय मुक्ति संघर्ष तेज करने के लिए भेजा गया। 'हो' 1945 तक हिंद चीन के कम्युनिस्ट आंदोलन तथा गुरिल्ला युद्ध के सक्रिय नेता रहे। माओ के लांग मार्च और जापान विरोधी युद्ध में भी वो उपस्थित थे। इस संघर्ष में इन्हें अनेक यातनाएँ सहनी पड़ीं। च्यांग काई शेक की सेना ने इन्हें पकड़कर अमानवीय दशाओं में एक वर्ष तक कैद में रखा जिसमें वो अंधे लगभग होते हुए बचे।
2 सितंबर 1945 को 'हो' ने 'वियतनाम जनवादी गणराज्य' की स्थापना की। फ्रांसीसी साम्राज्यवादियों ने अंग्रेज साम्राज्यवादियों की मदद से हिन्दचीन के पुराने सम्राट् 'बाऔ दाई' की ओट लेकर फिर से साम्राज्य वापस लेना चाहा। भयंकर लड़ाइयों का दौर आरंभ हुआ और आठ वर्षों की खूनी लड़ाई के पश्चात् फ्रांसीसी साम्राज्यवादियों को 1954 में भयंकर मात खानी पड़ी। मजबूर होकर साम्राज्यवादियों द्वारा जिनेवा सम्मेलन बुलाना स्वीकार किया गया। इसी वर्ष हो-चि मिन्ह वियतनामी जनवादी गणराज्य के राष्ट्रपति नियुक्त हुए।
फ्रांसीसियों के हटते ही अमेरिकियों ने दक्षिणी वियतनाम में 'बाऔ दाई' का तख्ता अपने कठपुतली 'ङ्यो दीन्ह यियम' नामक राष्ट्रपति के माध्यम से पलटवा कर वियतनामी क्रांतिकारियों के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया। युद्ध बढ़ता गया। दुनिया के सबसे शक्तिशाली अमेरिकी साम्राज्यवाद ने द्वितीय विश्वयुद्ध में यूरोप पर जितने बम गिराए थे, उसके दुगने बम तथा जहरीली गैसों का प्रयोग वियतनाम पर किया। तीन करोड़ की वियतनामी जनता ने अमेरिकी साम्राज्यवादियों के हौसले पस्त कर दिए। मरने के एक दिन पूर्व 3 सितंबर 1969 ई. को हो चि मिन्ह ने अपनी जनता से साम्राज्यवादियों का 'टोनकिन' की खाड़ी में डुबा देने की बात कही थी।
विश्व साम्राज्यवाद की जड़ें कमजोर करने में हो ची मिन्ह की महत्वपूर्ण भूमिका रही। उनका कहना था वियतनामी मुक्तिसंग्राम विश्व-मुक्ति-संग्राम का ही एक हिस्सा है और मेरी जिंदगी विश्वक्रांति के लिए समर्पित है। साम्राज्यवाद विरोधी इस महान योद्धा की बरसी पर उन्हें हमारा सलाम।
(साभार : कुछ संशोधनों के साथ Wikipedia)
#हो_ची_मिन्ह
#HoChiMinh
No comments:
Post a Comment