दुनिया के महानतम खिलाडियों में से एक मोहम्मद अली नहीं रहे! श्रद्धांजलि!!!
ये हमारे तथाकथित 'महानायकों' या क्रिकेट के 'भगवानों' जैसे नहीं थे जिन्होंने कभी अन्याय और बेईमानी का विरोध नहीं किया।
मोहम्मद अली असली महानायक थे जिन्होंने वियतनाम युद्ध का विरोध करने ौर फौज में भर्ती होने से मना करने के लिये जेल जाना और अपना हेवीवेट बॉक्सिंग का विश्व खिताब गंवाना स्वीकार किया था और उनको अपने खेल जीवन के चरम पर ४ साल तक नहीं खेलने दिया गया!
मोहम्मद अली का वियतनाम युद्ध पर बयानः
"मेरा जमीर मुझे इस बात की इजाजत नहीं देता कि मैं बडे, ताकतवर अमेरिका के लिये अपने भाइयों या और काले लोगों या कुछ गरीब भूखे लोगों को गोली मारूँ। और किसलिये? उन्होंने मुझे नीग्रो नहीं कहा, मुझे कत्ल नहीं किया, मेरे ऊपर कुत्ते नहीं छोडे, उन्होंने मुझसे मेरा देश नहीं छीना, मेरी माँ के साथ बलात्कार और मेरे पिता का कत्ल नहीं किया। उनको गोली किस लिये मार दूँ? उन गरीब लोगों को कैसे मारूँ? चलो मुझे जेल ही ले चलो"
कुछ और उद्धरणः
'He who is not courageous enough to take risks will accomplish nothing in life.'
"I was always the greatest when I was fighting for something."
"I wish people would love everybody else the way they love me. It would be a better world."
और ये उनकी भारत यात्रा के दौरान गायक मोहम्मद रफी के साथ एक यादगार फोटो। दूसरे फोटो में वियतनाम युद्ध पर उनका बयान।
मुकेश असीम
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