Total Pageviews

Monday, 17 April 2023

असद के बाद अतीक, अशरफ़ का सफ़ाया


 
उत्तर प्रदेश एस.टी.एफ़ द्वारा अंडरवर्ल्ड डॉन और बुर्जुआ राजनीति के पुराने खिलाड़ी, अतीक अहमद के १९ वर्षीय बेटे, असद की कथित मुठभेड़ में हत्या करने के बाद, अतीक और उसके भाई अशरफ की भी पुलिस  हिरासत में हत्या कर दी गई है. हत्या, भाड़े के तीन हत्यारों द्वारा की गई बताई जा रही है जो अब पुलिस हिरासत में हैं. 
कोई भी पुलिस की कहानी पर विश्वास करने के लिए तैयार नहीं है, न समर्थक और न ही विरोधी. हत्याएं, स्पष्ट रूप से सुनियोजित थीं और इन्हें बाकायदा पहले से ही प्रचारित किया गया था. इन हत्याओं को अंजाम देने के दावे खुलकर किए जा रहे थे. 
अतीक अहमद, बसपा, सपा, अपना दल जैसी पार्टियों के नेतोँ के सहयोग से अपराध और राजनीति में पनपा. १९७९ से ही अतीक अहमद, संगठित अपराध की दुनिया से जुड़ा था और उसी के जरिए राजनीतिक गलियारों तक पहुंचा था. वह पांच बार विधायक और फूलपुर सीट से सांसद रह चुका था.
अत्तिक अहमद का मामला, सत्ता और अपराधी गिरोहों के बीच गठजोड़ का क्लासिकल उदाहरण है. 
पूंजीवाद, अपराधों की उर्वर ज़मीन है और अपराध उसमें गहरे धंसे हैं. दोनों को अलग नहीं किया जा सकता. संगठित अपराध, पूंजीवादी सत्ता के सीधे संरक्षण में पनपते हैं और माफिया गिरोह, हमारे समय में सत्ता का भूमिगत और अनौपचारिक बाजू हैं. हमारे समय में, अपराध और बुर्जुआ राज्य एक दूसरे के साथ आलिंगनबद्ध है. उन्हें अलग नहीं किया जा सकता. हमारे समय में, अपराधों का चरित्र पूंजीवादी है और पूंजीवाद का अपराधी. दोनों का सांझा उद्देश्य, अकूत मुनाफ़ों को लूटना है. 
गलता-सड़ता पूंजीवाद रहेगा तो कचरे के इस ढेर पर अपराध भी कुकुरमुत्तों की तरह फलते-फूलते रहेंगे.  सिर्फ समाजवादी व्यवस्था ही, इस पूंजीवादी अराजकता और अपराधों, भ्रष्टाचार के नर्क से मानवता को मुक्ति दिला सकती है. 

Workers' Socialist Party

No comments:

Post a Comment