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Monday, 17 April 2023

अंबेडकर

जब "मार्क्सवादी" अंबेडकर का जन्मदिन मनाने लग जाऍं, तो समझिए कि वे मार्क्सवाद को तिलांजलि दे चुके हैं, कि उन्‍होंने बुर्जुआ विचारधारा के आगे घुटने टेक दिए हैं। 
हालांकि जात-पात के खिलाफ संघर्ष में अंबेडकर ने ऐतिहासिक तौर पर सकारात्मक भूमिका निभाई, लेकिन उनके पास ना तो जात-पात के जन्‍म की और ना ही उसके खात्‍मे की कोई वैज्ञानिक समझ थी। 
मार्क्सवाद क्रांति का विज्ञान है। क्रांति स्‍थापित व्यवस्था को उलटाकर होती है, जबकि अंबेडकर सारी उम्र स्‍थापित व्‍यवस्‍था के हक में रहे। अंबेडकर का जन्‍मदिन मनाने का मतलब है स्थापित व्‍यवस्‍था के पक्ष में खड़ा होना।

पंजाबी मार्क्‍सवादी पत्रिका 'प्रतिबद्ध' से साभार

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