दूसरों की गंदगी साफ कर खुद गंदगी के बीच रहना
दूसरों के घर बनाकर खुद बेघर रहना
दूसरों के भोजन पैदा कर खुद भूखा रहना
औरों के लिए कपड़ों को पैदा कर ठंड से ठिठुरना
दूसरों के पाठशाला बना खुद अशिक्षित होना
बड़े बड़े अस्पताल बनाकर अपनों को बेइलाज मरते देखना
दूसरों के लिए संपत्ति पैदा कर खुद तंगहाल होना
दूसरों के साम्राज्य के लिए लड़ाई में जान गवाना
देशभक्ति की आड़ में इस्तेमाल होना
आस्था और पाखंड का नियति का षड्यंत्र
भाग्य और दुर्भाग्य का गढ़ा गया वह तंत्र
फिर आदम स्मिथ का अदृश्य हाथ
और श्रम शक्ति वह का अदृश्य लूट।
कैसे स्वीकार्य हो यह अन्याय?
क्यों स्वीकार्य हो ऐसा तंत्र?
Vidyanand Chaudhary
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