जनकवि क न्है या की एक दुर्लभ तस्वीर !
पटना के प्रेमचंद रंगशाला को CRPF के कब्जे से मुक्ति के लिए रंगकर्मियों के जुलूस का नेतृत्व ; CRPF के बर्बर लाठी-प्रहार से माथा फटा था।
"जनाधिकार के लिये संघर्ष के एक अप्रतिम सिपाही थे कन्हैया जी । जब तक रहे --- प्रेरणा के अक्षय स्रोत बन कर रहे । यही प्रेमचंद रंगशाला आज अजीबोगरीब क्षुद्रताओं से घिरा जा रहा है । प्रभुत्व वर्ग इस सांस्कृतिक केन्द्र को कन्दुक-सा उछाल रहा है । इसके अन्तेवासी कर्मचारियों की जागीर बना जा रहा है यह केन्द्र । कविवर कन्हैया की भाव-प्रवणता और रंगशाला के साथ उनकी निश्छल सन्नद्धता को आंकनेवाला कोई दीख नहीं रहा । एक बार कुछ बिहारवासी बैठकर समवेत-रुदन नहीं करेंगे , तबतक संकटमुक्त होने का रास्ता नहीं दीखेगा ।" (प्रभात सरसिज Prabhat Sarsij ) रिपोस्ट
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