सितम्बर 1970 में चिली में जब डॉ. अलेंदे जीत कर सत्ता में आये तो जीत के समारोह में एक विशाल बैनर लगा था – 'गीत नहीं तो क्रांति नहीं'. पृष्ठभूमि में एक गीत बज रहा था – 'हम जीतेंगे' (Venceremos)...
गीतों को इस ताकत तक पहुंचाया था चिली के मशहूर क्रांतिकारी कवि–गायक विक्टर हारा (Victor Jara) ने.
विक्टर के एक गीत की ताकत दुश्मन के लिए 100 मशीन गन के बराबर थी. इसलिए वे विक्टर हारा से डरते थे, उससे नफ़रत करते थे. इसीलिए जब 11 सितम्बर 1973 को अमरीकी सरपरस्ती में पिनोशे की सेना ने कू किया और अलेंदे मारे गए. सेना की एक टुकड़ी विश्वविद्यालय पहुंची और अलेंदे समेत तमाम बुद्धिजीवियों, लेखकों, अध्यापकों को बंदी बना लिया. हज़ारों लोग बंदी बना कर स्टेडियम ले जाये गए.
क्रान्तिकारी विक्टर हज़ारों के भीड़ में पहचाने गए. शुरू हुआ उनका जघन्य टार्चर. यातना के इस दौर में भी उन्होंने एक उन्होंने अपने एक साथी से गीत लिखने के लिए पेंसिल और पेपर माँगा. और गीत लिखा –
मेरे गीत कितनी भयानक है तुम्हारी धुन
जब मुझे इस दहशत को गाना है
दहशत जिसमें मैं अभी जी रहा हूं
दहशत जिसमें मैं अभी मर रहा हूं....
इसके 2 घंटे बाद उनकी हत्या कर दी गई.
एक क्रूर सैन्य अधिकारी ने उनकी उँगलियों और कलाई को यह कहते हुए बूटों से मसल दिया कि इन्हीं हाथों से तुम गिटार बजाते हो न!
मशीन गन की गोलियों से छलनी उनका शरीर सड़क पर लाशों के बीच फेंक दिया गया. विक्टर हारा की उम्र उस वक्त महज़ 40 साल की थी. उनकी पत्नी जोन हारा ने उनके शव को पहचाना.
विक्टर,जोन को बेपनाह मुहब्बत करते थे. और उन्होंने कई गीत उनके प्यार पर समर्पित किया है. 'अपने एकांत में मैं तुम्हें सबसे अधिक प्यार करता हूं', उनका प्रसिद्द गीत है. 'मेनिफेस्टो' उनका अंतिम हिट गीत था. एक अन्य प्रसिद्द गीत 'शान्ति में जीने का अधिकार है' उन्होंने हो ची मिंह को समर्पित किया था.
उस स्टेडियम हत्याकाण्ड में हत्यारे सैनिकों ने हज़ारों लोगों का कत्लेआम कर दिया था.
आज 95 साल की हो गई जोन हारा 45 साल तक विक्टर और उनके साथियों को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ती रहीं.
3 जुलाई 2018 को 8 रिटायर्ड सैनिकों को 15 साल की सज़ा हुई. लेकिन विक्टर पर गोली चलाने वाला और उनकी कलाई तोड़ने वाला सैन्य अफसर पेद्रो बरिएन्तोस अमरीका भाग गया. उसे आज तक चिली सरकार प्रत्यर्पण नहीं करा पायी.
वैसे भी अमरीका ऐसे हत्यारों की पनाहगाह है, जहां हत्यारे अपराधी न केवल पनाह पाते हैं बल्कि पूरी राजकीय सुरक्षा में स्वतंत्र घूमते हैं. वैसे भी वह तख्तापलट अमेरिका और कुख्यात सीआईए ने ही कराया था.
2003 में चिली के उसी स्टेडियम का नाम विक्टर हारा के नाम समर्पित किया गया. आज भी हर साल लगभग 1000 गिटार वादक विक्टर हारा के संगीत की स्मृति में उत्सव मानते हैं और अपने प्यारे संगीतज्ञ को याद करते हैं.
गीत जिसमें सैकड़ों मशीन गन से अधिक की ताकत हो सकती है, कभी खामोश नहीं किये जा सकते. हां हत्यारों के प्रति नफ़रत पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ती ही जाती है....हत्यारों का कोई नाम लेवा नहीं होता...विक्टर के गीत और विक्टर हारा रहती दुनिया तक ज़िन्दा रहेंगे...
इस पूरी दास्तान को दर्ज किया है 2019 में नेटफ्लिक्स पर आई एक बेहतरीन डोक्युमेंटरी – ReMasterd: Massacre at the stadium ने. इसके निर्देशक हैं Bent- Jorgen Perlmutt.
लगभग एक घंटे 5 मिनट की इस डॉक्यूमेंटरी को देखते हुए पूरे समय मेरे ज़हन में छाया रहा – हाल ही में जी. एन. साईंबाबा और अन्य 6 लोगों पर आनन-फ़ानन में छुट्टी के दिन अपनी मन-माफ़िक बेंच को बिठा कर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा उन्हें बरी कर दिए जाने के फैसले को उलट देने का फैसला.
कैसे आईने और अपने बच्चों से नज़रें मिलाते होंगे ऐसे जुल्मी जज, सैन्य अधिकारी, पुलिस अधिकारी और ऐसी यातना में शामिल अन्य लोग.
सलाम है ऐसे क्रांतिकारी गायक विक्टर हारा और तमाम उम्र विक्टर को अपने संघर्ष में ज़िन्दा रखने वाली जोन हारा को!
जोन ने 1983 में विक्टर हारा के जीवन पर एक किताब लिखी– An Unfinished Song.
यह महज इत्तेफ़ाक है कि 8 जुलाई 2019 को जब वे हमें गिरफ्तार करने आये तो उस रात मैं यही किताब पढ़ रही थी. जिसे वे अपने साथ लेते गए. वह किताब अभी भी अधूरी है....
ज़ाहिर है जुल्म करने वाले हर युग में नफ़रत के प्रतीक बन जाते हैं और विक्टर जैसों के गीत प्रतिरोध के प्रतीक बन हवाओं में तैरते रहते हैं. क्रांतिकारी गीत कभी मरते नहीं....गूंजते रहते हैं लोगों के दिमागों में आवाज़ों में और प्रतिरोधों में....
#अमिताशीरीं
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