हमारे निकट विश्व-संस्कृति का इतिहास उदात्त और सुरीले षटपदी छन्दों में लिखा ग्रन्थ है। हम जानते हैं कि वह समय आयेगा जब सब स्त्री और पुरुष बीते युगों की उपलब्धियों का अभिनन्दन करेंगे और अखिल ब्रह्माण्ड के भीतर हमारी पृथ्वी को वह गौरवशाली स्थान प्राप्त होगा, जहाँ मृत्यु पर जीवन की विजय का महान दृश्य घटित हुआ है, एक ऐसा गौरवशाली स्थान जहाँ पर निश्चय ही कला के लिए जीने की, शान-शौकत और वैभव की सृष्टि करने की एक स्वतंत्र कला का अभ्युदय होगा।
मानव जाति का जीवन रचनात्मक श्रम में संलग्न है, जड़-पदार्थ के विरोध पर विजय प्राप्त करने में व्यस्त है, उस जड़-पदार्थ के समस्त रहस्यों को सीखने की इच्छा से प्रेरित है और उसकी शक्तियों से मनुष्य की इच्छाओं की पूर्ति करवाने और मनुष्यों के जीवन को सुख-आनन्द से भरपूर बनाने के लिए आकांक्षी है। इस लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए, हमें उसकी प्राप्ति को संभव बनाने के लिए पूरी सतर्कता से मन और शरीर की जीवन्त, जागरूक और क्रियात्मक शक्तियों की कुल मात्रा में लगातार अभिवृद्धि करते जाने का प्रयत्न करना चाहिए। इतिहास के प्रस्तुत क्षण का यह कर्तव्य है कि हर प्रकार से जन-समूह के पास शक्ति और ऊर्जा का जो विपुल भंडार है उसका निरन्तर विकास करते जाएँ, उस शक्ति और ऊर्जा को एक सक्रिय शक्ति के रूप में बदल दें और वर्ग, समूह और पार्टी की समष्टियाँ संगठित करें।
-- मक्सिम गोर्की ('व्यक्तित्व का विघटन', 1909)
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