बुर्जुआ बुद्धिजीवियों में जो कुछ खास सुधारों के लिए प्रयास करते हैं, उन्हें "उदार बुर्जुआ बुद्धिजीवी" कहा जाता है। इसलिए अम्बेडकर भी उदार बुर्जुआ बुद्धिजीवी हैं। अम्बेडकर जो मार्क्सवाद को ऐसे सिद्धान्त को जो श्रम के शोषण के उन्मूलन पर बल देता है सुअरों का दर्शन मानते थे, ऐसे बुर्जुआ बुद्धिजीवी होंगे जो मार्क्सवाद से नफरत करता है और श्रम के शोषण के संबंधों की हिमायत करता है। यदि कोई उन्हें मार्क्सवादी बुद्धिजीवी कहता है तो वह ऐसी बात है जिसे वह पसंद नही करते। यह उनका सम्मान नही अपमान करना होगा।
- *रंगनायकम्मा*
*(जाति और वर्ग: एक मार्क्सवादी दृष्टिकोण)*
No comments:
Post a Comment