Total Pageviews

Tuesday, 14 February 2023

विश्व की दस उत्कृष्ट प्रेम कविताएँ: अनुवाद अरुण कमल


विश्व की दस उत्कृष्ट प्रेम कविताएँ: अनुवाद अरुण कमल

लखनऊ के शायर मीर हसन का एक शेर है- 'कूचा-ए-यार है और दैर है और काबा है / देखिए इश्क़ हमें आह किधर लावेगा.' प्रेम से कविता का बहुत ही नज़दीकी रिश्ता है. शायद ही कोई भाषा हो जिसकी कविता में इश्क के गीत न लिखे गये हों. विश्व-प्रसिद्ध कुछ प्रेम कविताओं में से दस का चयन करके हिंदी के वरिष्ठ और महत्वपूर्ण कवि अरुण कमल ने उनका अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद किया है. चयन और अनुवाद दोनों ऐसे उपक्रम हैं जिनके समानांतर तमाम रेखाएं चलती हैं. ख़ुद अनुवादक ने स्वीकार किया है– 'अपने ही पैर की गर्द से घर गंदा हो जाता है'. यह ख़ास आयोजन ख़ास आपके लिए प्रस्तुत है.

विश्व की दस उत्कृष्ट प्रेम कविताएँ: अनुवाद अरुण कमल

विश्व की दस उत्कृष्ट प्रेम कविताएँ

अनुवाद: अरुण कमल

Pablo-Neruda

1.
आज रात मैं लिख सकता हूँ सबसे उदास पंक्तियाँ
पाब्लो नेरुदा

उदाहरण के लिए, लिख सकता हूँ, रात टूट-बिखर चुकी है
और नीले तारे सुदूर काँप रहे हैं

रात की हवा आकाश में घूम रही है और गा रही है

आज रात मैं लिख सकता हूँ सबसे उदास पंक्तियाँ
मैंने उसे प्यार किया, और कभी कभी उसने भी मुझको प्यार किया

ऐसी रातों में मैंने उसे अपनी बाँहों में भरा
चूमा बार बार चूमा अंतहीन आसमान के नीचे

कभी कभी उसने मुझे प्यार किया, और मैंने भी उसे प्यार किया
कैसे कोई उन बड़ी शांत आँखों को प्यार न करता

आज की रात मैं लिख सकता हूँ सबसे उदास पंक्तियाँ
सोच कर कि वह नहीं है मेरे पास, कि मैं उसे खो चुका हूँ

इतनी बड़ी रात को सुनना, और भी बड़ी उसके बगैर यह रात
गिरती है आत्मा पर कविता जैसे मैदान पर ओस

इससे क्या कि मेरा प्यार उसे रख न सका पास
रात बिखर चुकी है और वह नहीं है मेरे पास

बस यही है. दूर कोई गा रहा है. दूर पर कहीं
मेरा मन नहीं मानता कि मैंने उसे खो दिया है

मेरी आँखें उसे ढूँढ रही हैं मानो पहुँचने को उस तक
मेरा दिल उसे खोज रहा है और वह नहीं है मेरे पास

रात वही है उन्हीं पेड़ों पर सफ़ेदी करती
पर हम नहीं रह गये हैं वही, तब जो थे

मैं अब उसे प्यार नहीं करता यह तो तै है, लेकिन मैंने उसे कितना प्यार किया
मेरी आवाज़ उस हवा को तलाशने की कोशिश करती जो उसे छू सके

दूसरे की. वह दूसरे की होगी. जैसे पहले के मेरे चुम्बन
उसकी आवाज़. उसकी चमकती देह. उसकी अनन्त आँखें

अब मैं उसे प्यार नहीं करता, यह तै है,लेकिन शायद करता भी हूँ
इतना छोटा है प्यार, और भूलना इतना लम्बा

ऐसी ही रातों में मैंने उसे बाँहों में भरा था
मेरा मन मानता नहीं कि मैंने उसे खो दिया

भले यह अंतिम दर्द हो उसका दिया हुआ भोगने को
और ये अंतिम पद जो मैं लिख रहा उसके लिए.

 

Pablo-Neruda

२.
हर दिन तुम खेलती हो…
पाब्लो नेरुदा

हर दिन तुम ब्रम्हाण्ड के प्रकाश के साथ खेलती हो
अगोचर आगन्तुक,तुम उतरती हो फूल में और जल में
हर रोज जो मैं अपने हाथों में कस कर पकड़ता हूँ यह उज्ज्वल माथा
फूलों के गुच्छे की तरह तुम कहीं अधिक हो उससे

तुम किसी और की तरह नहीं हो क्योंकि तुमको मैं प्यार करता हूँ
मैं पसार दूँ तुमको पीली मालाओं पर
दक्षिण में तारों के बीच कौन लिखता है तुम्हारा नाम धुएँ के अक्षरों में?
ओ मैं याद करूँ कैसी रही होगी तुम पहले, अपने होने के पहले

अचानक हवा चीखती है और पीटती है मेरी बंद खिड़की
आसमान धुँधली मछलियों से भरा हुआ जाल है ठसाठस
यहाँ सब हवाएँ चली जाती हैं देर- सबेर सब की सब
बारिश अपने कपड़े उतारती है

चिड़ियाँ भागती जाती हैं
हवा. हवा—
मैं तो केवल मनुष्य की ताक़त से लड़ सकता हूँ—
अंधड़ तेज घुमाती है स्याह पत्ते
और रात में बँधी नावों को खोल देती है आकाश की ओर

तुम यहाँ हो. ओह तुम मत जाना
जवाब देना अंतिम पुकार तक
मुझमें लिपट जाओ मानो तुम डर गयी हो
वैसे भी एक अजीब छाया गुजरी थी तुम्हारी आँखों से एक बार

अभी अब भी मेरी नन्हीं, तुम मेरे लिए लाती हो मोगरे के फूल
और तुम्हारी छातियाँ भी भरी हैं इसकी सुगंध से
जब खिन्न हवा तितलियों का संहार करती फिर रही है
मैं तुम्हें प्यार करता हूँ और मेरी खुशी काटती है तुम्हारे मुंह का जामुन

तुमने कितना सहा होगा मेरे अभ्यस्त होने में
मेरी अकेली असभ्य आत्मा और मेरे नाम के, जिसे सुनते ही भागते हैं सब
कितनी बार हमने देखा है सुबह के जलते तारे को हमारी आँखें चूमते
और हमारे सिर के ऊपर भूरा प्रकाश उघड़ता है घूमती पंखियों में

मेरे शब्द बरसे तुम्हारे ऊपर, तुम्हें थपथपाते
लम्बे समय तक मैंने प्यार किया है तुम्हारी धूपतपी देह के मोती को
इतना कि मुझे लगा तुम्हीं स्वामिनी हो पूरे ब्रह्मांड की
मैं तुम्हारे लिए पहाड़ों से लाऊँगा प्रसन्न फूल, ब्लूबेल, स्याह हेज़ल, और चुम्बनों से भरीं
खाँचियाँ
मैं तुम्हारे साथ वही करना चाहता हूँ जो वसंत करता है चेरी वृक्षों के साथ.

 

Pablo-Neruda

३.
सॉनेट २५
पाब्लो नेरुदा

तुमसे प्रेम करने के पहले प्रिय कुछ भी नहीं था मेरा
मैं यूँ ही भटकता रहता गलियों में चीज़ सामानों
के बीच
किसी चीज़ का कुछ भी मतलब नहीं था न नाम
यह संसार हवा से बना था, इंतज़ार करता
मैं ऐसे कमरों को जानता था जो राख से भरे थे
उन खोहों को जहाँ रहता था चाँद
कर्कश कारख़ानों को जो गुर्राते 'भाग जा'
ऐसे सवाल जो रेत में ले जाते
हर चीज़ खाली मृत और ख़ामोश थी
गिरी हुई छोड़ी हुई और विनष्ट
इतनी बाहरी इतनी अलग कि सोचा भी नहीं जा सकता
यह सब किसी और का था- या किसी का नहीं:
जब तक कि तुम्हारी सुन्दरता और दरिद्रता ने
हेमंत को भर न दिया ढेर से उपहारों से.

 

Pablo-Neruda

४.
शायद तुम याद करो
पाब्लो नेरुदा

शायद तुम याद करो उस उस्तरे-से चेहरे वाले आदमी को
जो एक ब्लेड की तरह बाहर निकला था अँधेरे से
और- इसके पहले कि हम जान पाते- वह जान गया सब कुछ जो वहाँ था
उसने धुआँ देखा और कहा आग

काले केशों वाली वह पाण्डुर औरत
एक मछली की तरह उठी अतल से
और दोनों ने मिल एक यंत्र बनाया
प्रेम के विरुद्ध शस्त्रबद्ध

आदमी और औरत, दोनों ने पहाड़ ढाहे और बगीचे
फिर नदी की ओर उतरे, दीवारें फाँदीं
और पहाड़ी पर अपना विचित्र सैन्य सामान जमा दिया

तब प्रेम ने जाना इसे ही कहते हैं प्रेम
और मैंने जब अपनी आँखें तुम्हारे नाम पर उठायीं
तब सहसा तुम्हारे दिल ने मुझे रास्ता दिखाया

Sylvia Plath

 

५.
पागल लड़की का प्रेम गीत
सिल्विया प्लाथ

मैं आँखें बंद करती हूँ और सारी दुनिया मृत पड़ जाती है;
मैं पलकें उठाती हूँ और सब फिर पैदा हो जाता है.
(मैं सोचती हूँ मैंने तुम्हें अपने मन के भीतर गढ़ा था.)

सितारे नाचते चले जाते हैं नीले लाल
और बेतरतीब कालापन सरपट दौड़ता आता है:
मैं आँखें बंद करती हूँ और सारी दुनिया मृत पड़ जाती है

मैंने सपना देखा कि तुम जादू डाल मुझे बिस्तर पर ले गये
और गाकर मुझे मदहोश कर दिया,चूम चूम कर पागल कर दिया.
(मैं सोचती हूँ मैंने तुम्हें अपने मन के भीतर गढ़ा था)

ईश्वर लुढ़कता है आसमान से, नर्क की आग मुरझाने लगती हैः
कूच कर जाते हैं शिशु देवदूत और शैतान के लोग:
मैं आँखें बंद करती हूँ और सारी दुनिया मृत पड़ जाती है.

मैंने सोचा तुम लौटोगे जैसा तुमने कहा था,
लेकिन मैं बूढ़ी हो रही हूँ और भूल रही हूँ तुम्हारा नाम.
(मैं सोचती हूँ मैंने तुम्हें अपने मन में गढ़ा था.)

मुझे वास्तव में गर्जनपाखी से प्रेम करना चाहिए था; कम से कम वसंत में तो वे फिर से गरजते आते हैं.
मैं आँखें बंद करती हूँ और सारी दुनिया मृत पड़ जाती है.
(मैं सोचती हूँ मैंने तुम्हें अपने मन में गढ़ा था.)

 

Federico García Lorca

६.
गुलाब की माला का सॉनेट
फेदेरियो गार्सिया लोर्का

माला, जल्दी से, एक हारः मैं आ गया हूँ और मर रहा हूँ.
गूँथों फूलों को वे मुरझा रहे हैं. गाओ, रोओ और गाओ!
हृदय मेरे कंठ में,एक तूफान उफानता नद को
हजारों प्रपातों से आच्छादित रजतमय.
तुम्हारी अपनी इच्छा और मेरी इच्छा के बीच की जगह
भरी है तारों से, हर डग कँपाता ज़मीन को, उग आएंगे एनिमोन फूलों के वन
वर्ष के अंत पर, अपनी गोपन आवाज़ करते.
मेरे जख्मों के लैंडस्केप में देख सकते हैं प्रेमी,
खुशी खुशी, काटती तरंगों में झुकते सरपत,
और पी सकते हैं मधुमय जंघाओं के लाल ताल से.
जल्दी करो, आओ हम एक दूसरे में गूँथकर एक हो जाएँ,
हमारे मुंह विदीर्ण, हमारी आत्मा डँसी हुई प्रेम से,
ताकि काल को मिलें हम निश्चित विनष्ट.

 

Guillaume Apollinaire

७.
मिराबो पुल
अपॉलीनेयर

मिराबो पुल के नीचे बहती है नदी सीन
जहाँ तक हमारे प्रेम की बात है
मुझे याद आता है कि
हर दुख के बाद आती है खुशी फिर

रात आए, बीतें पहर
दिन भी बीतें, पर यहीं ठहरा रहूँ मैं

हाथ में हाथ डाल आमने-सामने ठहरे रहें हम
और नीचे
हमारे आलिंगन-पुल के नीचे
बहती जाएँ लहरें हमारे ताकते रहने से क्षुब्ध

आए रात, बीतें पहर
दिन भी बीतें, पर यहीं ठहरा रहूँ मैं

प्यार गुजर जाता है जैसे धारा गुजर जाती है
गुजर जाता है प्यार
जीवन कितना लम्बा और सुस्त है
जीवन की उम्मीद देती है कितने ज़ोर की चोट

रात आए ,बीतें पहर
दिन भी बीतें, पर यहीं ठहरा रहूँ मैं

दिन और सप्ताह बहते जा रहे हैं हम से दूर
न लौटेगा बीता समय
न लौटेगा प्यार फिर
बह रही है नदी सीन मिराबो पुल के नीचे

रात आए, बीतें पहर
दिन भी बीतें, पर यहीं ठहरा रहूँ मैं.

 

Chinua Achebe

८.
प्रेम-गीत (अन्ना के लिए)
चिनुआ अचेबे

जरा सा धैर्य धरो मेरी प्रिय
मेरी खामोशी की इस घड़ी में;
हवा भरी है भयंकर अपशकुनों से
और गीतपक्षी मध्याह्न के प्रतिशोध के भय से
अपने स्वर छुपा आए हैं
कोकोयम की पत्तियों में…
कौन सा गीत तुम्हें सुनाऊँ मेरी साँवरी जब
उकड़ूँ बैठे दादुरों की टोली
सड़ियल दलदल के गलफड़ प्रशंसा गान से
दिन को उबकाई से भर रही है
और बैंगनी मूँड़ वाले गिद्ध हमारे घर की छप्पर पर बैठे
पहरा दे रहे हैं?

मैं ख़ामोश इंतजार में गाऊँगा
तुम्हारी उस ताक़त को जो मेरे सपने
अपनी शांत आँखों में सहेज रखेगी
और हमारे छाले भरे पाँवों की धूल को सुनहले पैताबे में
तैयार उस दिन के लिए जब लौटेंगे
अपने निर्वासित नृत्य.

 

Maya Angelou

९.
आओ, मेरे शिशु बन जाओ
माया अंजलु

हाइवे भरा है बड़ी बड़ी कारों से
जातीं कहीं नहीं तेज
और लोग पी रहे हैं जो भी जले उसका धुआँ
कुछ लोग अपने झूठ कॉकटेल ग्लास के इर्द-गिर्द लपेटे हुए हैं
और तुम बैठे हो सोचते
किधर जायें—
मैं जानती हूँ.

आओ. और मेरे शिशु बन जाओ.
कुछ भविष्य वक्ता कहते हैं ये दुनिया ख़त्म हो जाएगी कल
कुछ दूसरे कहते हैं अभी एक दो हफ़्ते हैं अपने पास
अख़बार तो हर तरह की भयानक बातों से भरे हैं
और तुम बैठे हो सोचते
अब क्या करें.
मैं जान गयी.
आओ, और मेरे शिशु बन जाओ.

 

Harold Pinter

१०.
यह यहीं है
हैरल्ड पिंटर

वो आवाज़ कैसी थी?

मैं मुड़ता हूँ, उस कमरे की ओर जो हिल रहा है.

वो आवाज़ कैसी थी जो अँधेरे से आई?
कैसा है यह प्रकाश का भूलभुलैया जिसमें वह छोड़ती है हमें?
यह कैसी मुद्रा है
हटने और फिर लौटने की?
यह क्या सुना हमने?

यह वही साँस थी जो हमने ली थी जब हम पहली बार मिले थे.

सुनो. यह यहीं है.

अरुण कमल

१५ फ़रवरी १९५४ को नासरीगंज, बिहार में जन्मे अरुण कमल के छह कविता संग्रह, दो आलोचना पुस्तकें, साक्षात्कारों की एक किताब और दो अनुवाद पुस्तकें प्रकाशित हैं. 'अनुस्वार' नाम से अनुवाद का एक स्तम्भ. नागार्जुन, शमशेर, त्रिलोचन, मुक्तिबोध, केदारनाथ सिंह की दस-दस कविताओं के अँग्रेजी अनुवाद, लेख सहित, इंडियन लिट्रेचर में प्रकाशित. एक कविता पुस्तक, और लेखों तथा बातचीत की किताबें प्रकाश्य.

अनुवादक घर साफ़ करने वाली बाई की तरह कविता के कोने अँतरों तक पहुँच सकता है या घड़ीसाज की तरह सारे पुर्जे खोल कर फिर से जमा सकता है- इसी मजे, और भेद को जानने- सीखने के वास्ते मैं अनुवाद करता रहता हूँ और रखे रहता हूँ. हालाँकि फिर से जमाने में कुछ कल-पुर्जे इधर उधर हो जाते हैं , या अपने ही पैर की गर्द से घर गंदा हो जाता है.
arunkamal1954@gmail.com




No comments:

Post a Comment