प्राचीन यूनान में माना जाता था कि देवता ओलिम्पस नामक एक पर्वत पर रहते हैं। इनमें से चंद्रमा को भी एक देवी माना जाता था जिसका नाम था सेलेन। यह हाइपिरियन और थेइया नामक टाइटनों की बेटी थी। टाइटन देवताओं के मातापिता थे जिनको पराजित करके देवताओं ने सृष्टि का राजपाट छीन लिया था। आजकल शनि ग्रह के सबसे बड़े चंद्रमा को टाइटन ही कहते हैं।
बहरहाल हमारा जो चन्द्रमा है उसके जन्म की एक रोचक थियरी है। अधिकतर वैज्ञानिक चांद के जन्म को "जायंट इम्पैक्ट हाइपोथिसिस" के माध्यम से बताते हैं। जैसा कि नाम से ही जाहिर है, जायंट इम्पैक्ट मतलब विशाल टक्कर। वैज्ञानिकों का मानना है कि किसी समय, अनुमानतः 4.5 बिलियन वर्ष पहले, एक विशाल खगोलीय पिंड, जो लगभग मंगल ग्रह जितना बड़ा था, अपने पथ से विचलित होकर धरती से आ टकराया था। इनकी टक्कर से दोनों ग्रह एकाकार हो गए और जो मलबा अंतरिक्ष में बिखरा उससे चांद का जन्म हुआ। जिस खगोलीय पिंड की टक्कर धरती से हुई थी उसको नाम दिया गया है "थेइया"। वही जो ग्रीक पौराणिक कथा के अनुसार चांद की मां थी। लेकिन तब चांद का दूसरा जन्मदाता हाइपिरियन था और अब धरती को माना जाता है। हालांकि अधिकतर वैज्ञानिक इस हाइपोथिसिस या थियरी से सहमत हैं लेकिन है तो यह अभी भी बिल्कुल पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि यही हुआ होगा।
खैर इस घटना के खरबों साल बाद की बात है...
17 फरवरी 1600...
स्थान : रोम।
कैथोलिक चर्च द्वारा एक आदमी को जिंदा जला दिया गया।
उस व्यक्ति का नाम था ब्रूनो।
उसका अपराध क्या था?
उसने कहा था कि पृथ्वी ब्रह्मांड का केंद्र नहीं है।
काफ़ी समय से लोग पृथ्वी को ब्रह्माण्ड का केंद्र मानते आ रहे थे।
लेकिन ब्रूनो ने कहा कि पृथ्वी अनन्त ब्रह्मांड में एक स्थित केवल एक ग्रह है। ब्रह्मांड में बहुत से सूर्य हैं और बहुत से ग्रह हैं।
तो ब्रूनो को जिन्दा जला दिया गया।
उस घटना के 368 साल और 10 महीने बाद।
यानि 24 दिसम्बर, 1968 को चांद की कक्षा एक आदमी ने पृथ्वी की फ़ोटो ली।
फोटोग्राफर का नाम था विलियम एंडर्स।
यह अपोलो 8 मिशन पर गए एक अंतरिक्ष यात्री थे।
इस फोटो को दुनिया की सबसे प्रभावशाली "वातावरणीय फ़ोटो" कहा जाता है।
फ़ोटो में जो घटना दिख रही है उसे Earthrise यानि धरोदय कहते हैं। यानि धरती का उदय। जैसे चंद्रमा और सूर्य का उदय होता है। इसमें धरती एक साइड झुकी हुई नजर आ रही है। बायीं तरफ इसका दक्षिणी ध्रुव है। और ऊपर से नीचे आती हुई भूमध्य रेखा दिखाई देती है। बादलों में से जमीन का बहुत कम हिस्सा दिखाई देता है, लेकिन नामिब और सहारा रेगिस्तान अलग ही चमकते हैं।
शहीद होने के सदियाँ बीत जाने के बाद ब्रूनो आखिर सही साबित हुए। धरती ब्रह्मांड का केंद्र नहीं है। यह अनंत ब्रह्मांड के बहुत से ग्रहों में से एक छोटा सा ग्रह है।
आज 17 फरवरी है। ब्रूनो का शहादत दिवस।
(यह विलियम एंडर्स द्वारा क्लिक किया हुआ वही आइकोनिक फ़ोटो है।)
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