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Saturday, 18 February 2023

दक्षिण भारत में शिवरात्रि



आज हैदराबाद में एक देव संस्थानम में गया। शिवरात्रि पर लोग शिवजी को पूजने आये थे। यहाँ शिवलिंगों पर सुबह जल नहीं चढ़ाया जाता। लोग केवल शिवलिंग का दर्शन कर रहे थे। यहाँ कई लोग तेलुगु में लिटरेचर बाँट रहे थे, उन्हें लेंस से अनुवाद कर पढ़ा।  यहाँ शिव जी को कलियुग की उत्पत्ति माना जाता है। वह अदेह हैं। उनके विवाह की कोई बात यहाँ की कथाओं में नहीं है, उनकी न कोई पत्नी है, न कोई पुत्र। शिवलिंग की धारणा भी अलग है। शिवलिंग का ऊपरी हिस्सा ज्योति है और नीचे का हिस्सा दीप। शिवलिंग की उत्तर भारतीयों की धारणा को ये विभत्स और अश्लीलता पूर्ण बताते हैं। यहाँ न साँप है , न बैल, न त्रिशुल और न कोई डमरू।
इनका आरोप है कि हिन्दी वालों ने जबरन अपने शंकर को यहाँ के शिव  में मिला दिया है।

ओडिशा में भी लोगों न बताया था कि  भगवान जगन्नाथ को उत्तर वालों ने मनगढंत कृष्ण और विष्णु बना दिया है।
 ये उत्तर भारतीयों को सांस्कृतिक उपनिवेशवादी बताते हैं।

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