Total Pageviews

Tuesday, 21 February 2023

1946 का नौसेना विद्रोह

यह हड़ताल बैरक के नाविकों से शुरू हुई। दोपहर तक 'तलवार' के सभी नाविक हड़ताल में शामिल हो गये। उस वक्त बंबई में नौसेना के 22 जहाज थे। 19 फरवरी को इन सब जहाजों के नाविकों ने हड़ताल का समर्थन कर दिया। जहाजों के मस्तूल से बरतानवी झंडे यूनियन जैक को उतार दिया गया। उसकी जगह नाविकों ने कांग्रेस, मुस्लिम लीग व कम्युनिस्ट पार्टी के झंडे एक साथ फहरा दिये। इस तरह हड़ताल ने ब्रिटिश साम्राज्य के प्रतीक को हटाकर एक विद्रोह का ऐलान कर दिया। 

        इसके बाद हड़तालियों ने बंबई शहर में वर्दी पहनकर जुलूस निकाला। जुलूस प्रदर्शनों का यह सिलसिला लगातार जारी रहा। नाविकों के प्रदर्शन में तीन झंडे एक साथ चलते थे-कांग्रेस का तिरंगा, मुस्लिम लीग का हरा और उनके बीच में कम्युनिस्ट पार्टी का लाल झंडा। कांग्रेस और लीग के झंडे राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलन के साथ हिन्दू-मुस्लिम एकजुटता के प्रतीक थे, तो कम्युनिस्ट पार्टी का लाल झंडा मजदूर वर्ग के क्रांतिकारी आंदोलन के साथ एकजुटता का प्रतीक था। नाविकों के प्रदर्शनों मेें प्रमुख नारे थे- 'जय हिन्द', 'इंकलाब जिन्दाबाद', 'हिन्दू मुस्लिम एक हो', 'ब्रिटिश साम्राज्यवाद मुर्दाबाद', 'आजाद हिन्द फौज के सिपाहियों व अन्य राजनीतिक बंदियों को रिहा करो', 'हिन्देशिया से भारतीय सेना वापिस बुलाओ', 'हमारी मांगें पूरी करो' आदि।



No comments:

Post a Comment