उपन्यास, "अलितेत पहाड़ियों की शरण में" सोवियत संघ के सुदूर कोने में बसे हुए चुकोत्स्क प्रदेश से संबंधित उपन्यास है। कुछ समय पहले नष्टप्राय होने जा रही चुकची जाति के नवजीवन प्रवेश की यह कहानी है।
'चुकोत्स्क में," उपन्यासकार तीखोन स्योमुश्किन कहते हैं, " मैं कई वर्ष रहा। बारहसिंगों और कुत्तों की गाड़ियों पर मैंने उसके असीम हिमावृत विस्तारों में 20,000 से अधिक किलोमीटर की यात्रा की। मैं धुएं से भरे चुकची यारंग और तंबू में रहा और बरफ़ के बीच सोने वाले थैले में सोया; फिर ऐसे फ्लैटों में मैंने निवास किया जो सेंट्रल हीटिंग, बिजली और यहां तक कि टेलीफ़ोन से भी सुसज्जित थे।
"इस पुस्तक के सभी चरित्र वास्तविक जीवन से लिये गये हैं। याराक, वामचो और आये जैसे कई चुकची नौजवानों से और लोस और जुकोव जैसे सोवियत देश के संदेशवाहकों से मैं मिला। स्थानीय जनता को लूटकर मालदार बनने वाले और विदेशी निवासियों के एजेंटों का करने वाले काम अलितेत जैसे चुकची कुलक भी मैंने देखे..."
-पुस्तक के ब्लर्ब से
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