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Saturday, 7 January 2023

1873 की शानदार दलित (नमोशूद्र) हड़ताल

1873 की शानदार दलित (नमोशूद्र) हड़ताल 
हिंदू व मुस्लिम दोनों के उच्च जाति जमींदारों के जातिगत शोषण-अत्याचार के विरुद्ध आज के बंगलादेश के फरीदपुर जिले में 1873 में नमोशूद्र दलितों की शानदार हड़ताल हुई थी जिसमें बाद में अन्य दलित जन भी शामिल हो गए और यह जैसोर तथा बाडिसाल जिलों तक फ़ैल गई| नामशूद्र मल्लाह व कृषि मजदूर थे| उन्होंने एक सभा बुलाकर ब्राह्मण-कायस्थ व उच्च जाति मुस्लिम सभी जमींदारों के लिए किसी भी किस्म का श्रम करने से इंकार कर दिया था| यहाँ तक कि जेलों में नमोशूद्र कैदियों ने भी वे काम करने से मना कर दिया जो 'उच्च' जाति के कैदियों से नहीं कराये जाते थे| इस हड़ताल से जमींदारों की खेती ही बंद नहीं हुई बल्कि मुख्यतः नौवहन के जरिये ही चलने वाला व्यापार-यातायात भी ठप हो गया तथा हाट-बाजार, मंडियां बंद पड़ गईं तथा इस क्षेत्र की पूरी अर्थव्यवस्था की गति अवरुद्ध हो गई| 
6 महीने तक चलने वाली 8-10 लाख दलित जनता की यह शानदार तरीके से सुसंगठित, सशक्त हड़ताल जमींदारों-अंग्रेज शासन द्वारा जातिगत अत्याचार की रोक के अहम ऐलानों की कामयाबी के पश्चात ही समाप्त हुई|
19 वीं सदी के उत्तरार्ध और 20 वीं सदी के शुरुआती दशकों में बंगाल, महाराष्ट्र, केरल, आदि विभिन्न स्थानों में इस तरह के जुझारू दलित आंदोलनों का एक सशक्त ज्वार पैदा हो रहा था जो सशक्त जनांदोलनों से अपने न्यायपूर्ण अधिकार हासिल करने का संघर्ष कर रहे थे| किंतु महाड के बाद से दलित आंदोलन मुख्यतः राज्य व्यवस्था को प्रतिवेदनों-निवेदनों द्वारा क्रमिक क़ानूनी सुधार प्राप्ति तक सीमित हो गया| आजादी के बाद तो इसकी मुख्यधारा इस या उस चुनावी पार्टी के अंग बनने तक ही रह गई जबकि बिहार व अन्य कुछ स्थानों पर जमींदार से पूंजीपति फार्मर बने सवर्ण भूपतियों के अत्याचार के खिलाफ दलित श्रमिकों की सशक्त जुझारू लड़ाइयां मुख्यधारा के दलित आंदोलन के समानांतर ही चलती रहीं|  
रोहित वेमुला की सांस्थानिक हत्या, ऊना, सहारनपुर-चंद्रशेखर रावण से 2 अप्रैल के भारत बंद तक हम एक नया उभार देख रहे हैं| दलित आंदोलन सिर्फ क़ानूनी सुधारों के संघर्ष के दायरे से आगे बढ़कर जनसंघर्षों की ताकत से ब्राह्मणवादी जातिगत अन्याय के प्रतिरोध के लिए खड़ा हो रहा है यद्यपि वैचारिक तौर पर अभी पुरानी बातें ही कही जा रही हैं और दलित मध्यवर्ग का एक हिस्सा इससे सशंकित है| 
इस नई अंगड़ाई का खैरमक़दम, पूरा समर्थन होना चाहिए| ब्राह्मणवाद की पराजय का रास्ता इधर से ही बनेगा|

- Mukesh Aseem

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