ब्राह्मणों को कभी किसी ब्राह्मण की पूजा करते हुए देखा है? जिनकी भी पूजा होती है सभी गैर ब्राह्मण हैं। चाहे शिव हों, शक्ति हो, हनुमान हों।
विष्णु के दस अवतारों में दो ब्राह्मण भी थे, वामन और परशुराम। पर उनकी पूजा नहीं होती। पूजा किनकी होती है? भगवान का दर्जा किसे प्राप्त है? केवल राम और कृष्ण। दोनों ही गैर ब्राह्मण। नौवे अवतार बुद्ध भी गैर ब्राह्मण।
और कबीर, रैदास, रविदास? कौन ब्राह्मण?
पंडे, पुजारियों के भाग भाग कर पैर छूने कौन ज़्यादा भागते हैं? ज़्यादातर गैर ब्राह्मण। ब्राह्मण को आप कभी किसी पंडे पुजारी की इतनी लल्लो चप्पो करते हुए नहीं देखोगे। इसकी वजह भी है। ब्राह्मणों में ये पंडिताई और पुजारीगिरी वाले कार्य को निकृष्टतम समझा जाता है क्योंकि इसे कर्म कांडीक व्यवसाय माना जाता है।
ब्राह्मण के लिए श्रेष्ठ कार्य शिक्षा और ज्ञान से जुड़े हुए कार्य माने जाते हैं।
इतिहास में सामाजिक कुरूतियों और ब्राह्मणवाद के खिलाफ लड़ने वाले नामों पर एक नज़र डालेंगें तो वहां भी ऊपर ब्राह्मण ही खड़े मिलेंगे।
यही नज़ारा सोशल मीडिया पर भी मिलेगा। ब्राह्मणों और ब्राह्मणवाद के विरुद्ध सबसे ज़्यादा लिखने वालों में ब्राह्मण भी अच्छे खासे हैं। कोई दूसरा वर्ग बता दीजिए जो खुद पर ही इतना आलोचनात्मक हो?
और इसपर भी सबसे ज़्यादा गाली खाने वाले कौन? ब्राह्मण। वो इंसान नहीं है?
इस देश के एक एक इंसान के डीएनए में जातिवाद का ज़हर घुसा हुआ है। कभी किसी ओबीसी से पूछिए कि वो अति पिछड़े और दलित को किस दृष्टि से देखता है और दलित महादलित को किस नज़र से देखता है।
इसीलिए इस जातिवाद रूपी ज़हर का पूरा बिल केवल ब्राह्मणों के नाम फाड़ने की कोई ज़रूरत नहीं है।
यदि ये जहर खत्म करना है तो सभी को इंसान बन कर आगे आना पड़ेगा नहीं तो सब ऐसे ही चलता रहेगा।
Ashish Telang
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