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Monday, 30 January 2023

जनकवि नागार्जुन अपनी कविता 'तर्पण

जनकवि नागार्जुन अपनी कविता 'तर्पण' में लिॆखते हैं
बापू,
जिस बर्बर ने
कल किया तुम्हारा खून ,पिता!
वह नहीं मराठा हिन्दु है,
वह नहीं मूर्ख या पागल है,
वह प्रहरी है स्थिर स्वार्थों का,
वह जागरूक,वह सावधान,
वह मानवता का महाशत्रु,
वह हरिणकशिपु,
वह अहिरावण,
वह अहिरावण,
वह दशकन्धर,
वह सहश्रबाहु,
वह मानवता के पूर्णचंद्र का सर्वग्रासी महाराहु,
हम समझ गए
चट से निकाल पिस्तौल
तुम्हारे ऊपर कल
वह दाग गया गोलियाँ कौन?
हे परम पिता,हे महामौन!
हे महाप्राण,किसने तेरी अंतिम सांसे
बरबस छीनीं भारत -मां से?
हम समझ गए!
जो कहते हैं उसको पागल,
वे झोंक रहे हैं धूल हमारी आंखों में
वे नहीं चाहते परम क्षुब्ध जनता घर से बाहर निकले।

शत शत नमन 

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