भाजपा प्रवक्ताओं- नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल द्वारा इस्लाम के संस्थापक पैगम्बर मुहम्मद और आयशा पर अभद्र टिप्पणी ने दुनिया भर में इस्लाम के अनुयायियों के बीच तीखी प्रतिक्रिया को जन्म दिया. भारत में कानपुर सहित कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए. विदेशों में और भी कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई. ईरान, कुवैत, क़तर और सऊदी अरब जैसे राज्य जो अब तक भारत में इस्लामोफ़ोबिया की लहर पर चुप्पी साधे हुए थे, प्रदर्शनों के बाद, इस प्रतिवाद में शामिल होने के लिए बाध्य हो गए. मोदी सरकार और संघ परिवार, जो इस ज़हरीले, सांप्रदायिक दुष्प्रचार की अगुवाई कर रहे थे, पीछे हटने के लिए बाध्य हुए और दुनिया की आँखों में धूल झोंकने के लिए अपने प्रवक्ताओं को पार्टी से निलंबित कर दिया. इससे पहले, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दोमुंहा बयान देते हुए, कहा था कि आरएसएस मंदिर आन्दोलन में हिस्सा नहीं लेगा. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मोदी सरकार की हालत बहुत खराब है. उसकी फासिस्ट नीतियों ने, जो भारत के बड़े पूंजीपतियों के 'अखंड भारत' के विस्तारवादी सपनों के गिर्द संगठित हैं, सभी पड़ोसियों से सम्बन्ध खराब कर लिए हैं. भारत में, जहां अल्पसंख्यक होते हुए भी, दुनिया की सबसे अधिक मुस्लिम आबादी रहती है, मोदी सरकार का 'हिन्दू राष्ट्र' का कार्यक्रम, जनविरोधी, पंजीवादी कार्यक्रम के रूप में नंगा होता जा रहा है.
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