1- गाय पूजने की चीज नहीं, ये एक उपयोगी पशु मात्र है।अगर गाय किसी की भी माता हो सकती है, तो वह सिर्फ बैल की। हिंदुओं की तो कतई नहीं. गाय के पैरों की पूजा करके हिंदुत्व की रक्षा नहीं की जा सकती है। (1930, मशहूर मराठी पत्रिका 'भाला' में।)
2- मुस्लिम महिलाओं से ब्लातकार भी देशभक्ति और हिंदुत्व होगा।
(सावरकर की किताब "भारतीय इतिहास के छह वैभवशाली युग" के चैप्टर आठ में)
3- धर्म के आधार पर बंटवारा किया जाना जायज है, मैं मुस्लिम लीग का समर्थन करता हूं। क्योंकि हिंदू मुसलमान दो अलग अलग राष्ट्र हैं।
(समग्र सावरकर वांग्मयः हिंदू राष्ट्र दर्शन, अंक-6, महाराष्ट्र, पूना, 1963)
4- यदि मुझे छोड़ दिया जाए तो मैं भारत के स्वतंत्रता संग्राम से ख़ुद को अलग कर लूंगा और ब्रिट्रिश सरकार के प्रति अपनी वफ़ादारी निभाउंगा। (1911 से ही ऐसे माफीपत्र लिखने शुरू किए, जो 1924 में छूट जाने तक अनवरत लिखे गए।)
5- देश के हिंदुओं से मेरी अपील है कि ब्रिटिश सरकार की तीनों सेनाओं में भर्ती हों। और उनके हथियार बनाने के कारखाने में भी काम करें।
(1940 के मदुरै महासभा में। सावरकर ने पूरे देश में घूम घूम कर भारतीय युवाओं को ब्रिटिश सेना में शामिल होने की अपील की थी, जबकि उसी वक्त सुभाष चन्द्र बोस की बनाई गई सेना "आजाद हिंद फौज" अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा ले रही थी।
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