धर्म की उत्तपत्ति प्राचीन काल मे मनुष्य की प्राकृतिक शक्तियों के समक्ष विवशता के कारण हुई थी और आज मनुष्य पूंजीवादी समाज की शक्तियों के सामने विवश है। मनुष्य बेरोजगार है लेकिन उसे पता नही है कि वह किन पूंजीवादी परिस्थिति के कारण बेरोजगार है। इस लिये वह धर्म और ईश्वर के शरण मे चला जाता है। धर्म के उन्मूलन के लिये जरूरी है कि पूंजीवादी परिस्थितियों की अनिशिचितता को मिटा कर मजदूर वर्ग समाजवादी व्यवस्था की निश्चितता ले आये। भारत का असली दुश्मन धर्म नही, लुटेरी पूंजीवादी व्यवस्था है।
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