कुछ फोटो ऐसी होती हैं जो 'फोटो' बनने से इंकार कर देती हैं।
वह किसी फ्रेम में कैद नहीं होती। वह हमारे साथ साथ चलती हैं, अपने पूरे इतिहास के साथ।
बहुचर्चित 'नापाम गर्ल' (नीचे वाली फोटो) वाली फोटो ऐसी ही एक फोटो है। 9 साल की किम फुक (Kim Phuc) आज से ठीक 50 साल पहले साउथ वियतनाम के एक गांव में अपने दोस्तों के साथ खेल रही थी। 6 जून को 'न्यूयार्क टाइम्स' में छपे अपने लेख में किम फुक कहती हैं कि माँ बताती थी कि बचपन मे मैं बहुत हँसती थी।
उस दिन भी जब वह दोस्तों के साथ खेलते हुए जोर जोर से हंस रही थी, तभी वियतनाम को बर्बाद करने के उद्देश्य से अमेरिका ने वहां एक 'नापाम बम' गिराया। उसकी जलन त्वचा पर ऐसी थी कि किम फुक अपने कपड़े उतारते हुए भागने लगी और निर्वस्त्र हो गयी। तभी एसोसिएटेड प्रेस के एक फोटोग्राफर निक उट (Nick Ut) ने यह फोटो खींचा।
लेकिन यह कम लोगो को पता है कि पत्रकार का धर्म निभाते ही उन्होंने मनुष्य का धर्म निभाने के लिए अपना कैमरा पैक किया और किम फुक को एक कपड़े में लपेटकर अस्पताल पहुँचाया और उनकी जान बचाई।
आज किम फुक दुनिया में जहाँ कहीं भी युद्व हो रहा है, वहां जाती हैं और प्रभावित बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल करती हैं।
यह फोटो हमें लगातार यह याद दिलाती है कि पृथ्वी पर युद्ध थोपने वाले साम्राज्यवादी देश लगातार प्रति दिन 'नापाम गर्ल' तैयार कर रहे हैं।
इन 'नापाम गर्ल' का असली इलाज तो यही है कि हम इस 'जलती निर्वस्त्र दुनिया' को जितनी जल्दी हो बदल डाले, ताकि फिर किसी लड़की की बिंदास हंसी जलती चीख में न बदले। उसे अपनी फूलों वाली फ्रॉक को जलती त्वचा के कारण फाड़ कर फेंकना न पड़े।
#मनीषआज़ाद
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