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Sunday, 11 September 2022

आरएसएस की देशभक्ति और राष्ट्रवाद

ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन पर मोदी सरकार तिरंगे को आधा झुका कर राष्ट्रीय शोक क्यो न मनाए ?...... अंग्रेजो के साथ तो हमेशा आरएसएस वालो के संबंध मधुर ही रहे है आरएसएस का कोई नेता आजादी की लड़ाई में जेल नही गया यह तो आप जानते ही होंगे लेकिन आप यह नहीं जानते होंगे कि द्वितीय विश्व युद्ध में फंसे हुए अंग्रेजो को भारत में कोई तकलीफ न उठाना पड़े इसलिए आरएसएस ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग न लेने का फैंसला किया था।

इनके पूज्य नेता गोलवलकर, बंच आफ थाॅट्स में लिखते है..... "अंग्रेजी-सत्ता का विरोध देशभक्ति और राष्ट्रवाद कहा जा रहा है. यह एक प्रतिक्रियावादी विचार है. इस विचार का स्वाधीनता आंदोलन, इसके नेताओं और सामान्य जनता पर भयावह प्रभाव पड़ेगा."
(गोलवलकर, बंच आफ थाॅट्स. , बंगलौर 1996, पृ. 138)

इनके पितृ पुरुष श्यामाप्रसाद मुखर्जी तो एक कदम और आगे बढ़ गए थे ....श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने तो भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान बंगाल के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने से इंकार कर दिया. इतना ही नहीं बंगाल सरकार में मंत्री के बतौर उन्होंने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन का दमन करने में अंग्रेजों की मदद करने और उन्हें सलाह देने में सक्रिय सहयोग की पेशकश की. 1942 में उन्होंने लिखा:

"सवाल यह नहीं है कि बंगाल में इस आंदोलन का मुकाबला कैसे किया जाए. प्रांत में प्रशासन को इस तरीके से चलाना चाहिए जिससे तमाम कोशिशों के बावजूद .. यह आंदोलन प्रांत में अपनी जड़ें जमाने में सफल न हो पाए."

श्यामाप्रसाद मुखर्जी आगे लिखते हैं

"जहां तक इंग्लैंड के बारे में भारत के रुख की बात है तो इस मौके पर इनके बीच किसी भी प्रकार का संघर्ष नहीं होना चाहिए... जो व्यक्ति भी जन भावनाओं को भड़काकर आन्तरिक विक्षोभ और असुरक्षा पैदा करना चाहता है, सरकार को उसका कड़ाई से विरोध करना चाहिए."
(श्यामा प्रसाद मुखर्जी, लीव्स फ्रॉम अ डायरी, आॅक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, पृ. 175-190)

ऐसा इनका इतिहास रहा है तो बताइए ! 
फिर क्यों न मनाए अपनी महारानी के मरने पर राष्ट्रीय शोक ?
गिरीश मालवीय रिबार्न

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