(वर्तमान में उन्हें 5 साल की सेवा के बाद पेंशन मिलती है)। इसमें एक और विकार यह है कि अगर कोई व्यक्ति पहले पार्षद रहा है, तो विधायक बन जाता है और फिर सांसद बन जाता है,
तो उसे एक नहीं बल्कि तीन पेंशन मिलती है।
यह देश के नागरिकों के साथ चाहिए। एक बड़ा विश्वासघात है, जिन्हें इसे रोकने के लिए तुरंत प्रयास करना होगा.....
केंद्रीय वेतन आयोग के साथ, सांसदों के वेतन भत्ते को संशोधित किया जा रहा है इसे आयकर के तहत लाया जाना चाहिए...।
वर्तमान में सांसद अपने स्वयं के लिए मतदान करके मनमाने ढंग से वेतन और भत्ते बढ़ाते हैं और उस समय सभी दल एकजुट होते हैं। सांसदों की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को छोड़ दिया जाना चाहिए और लीजाती है। भारत के सभी नेताओं के स्वास्थ्य की देखभाल किसी अन्य नागरिक की तरह ही होनी चाहिए। वर्तमान में उनका इलाज अक्सर विदेश में किया जाता है। उन्हें बिजली, पानी और फोन बिल जैसी सभी रियायते समाप्त होनी चाहिए।
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