बिहार के बाद उत्तर प्रदेश में निर्माण व असंगठित मजदूरों को संगठित करने की शुरुआती कोशिश करने और जारी जारी रखने के लिये सभी साथियों को बधाई । ये लहरे धीरे- धीरे ही सही, लेकिन निश्चित रफ्तार से तट पर स्थित मजदूरों के शोषण से बने विराट अट्टालिकाओं एवम महलो की तरफ बढ़ता रहे, ताकि उसे ध्वस्त कर सके, यही मजदूर आंदोलन से मेरी अपेक्षा है। मजदूरी बढाने एवम उनसे जुड़ी अन्य मांगो के लिये संघर्ष आवश्यक है, लेकिन हमें यह कत्तई नही भूलना है कि हमारा असली लक्ष्य मजदूरी बढ़ाना नही बल्कि मजदूरी-प्रथा (Wage Slavery) का नाश करने के लिये मजदूरों को तैयार करना है। यह बात मजदूरों को सम्बोधित हमारे पर्चो, भाषणों एवम लेखों में जितना आ सकेगा, उतना हम आगे बढ़ पाएंगे। लेकिन यह काम सबसे कठिन है, और मजदूर आंदोलन के सुधारवादी आंदोलन में बदल जाने के पीछे मुख्य कारण भी यही होता रहा है। हमे एक ट्रेड यूनियन सेक्रेटरी की तरह नही बल्कि एक कम्युनिष्ट की तरह मजदूरों के बीच काम करना चाहिये। आज , अगर सच कहें, तो यही एक काम है जिसे करने के बाद आदमी गौरवान्वित महसूस कर सकता है। आपकी इस उदारता के लिये धन्यवाद कि आप हमें भी इस लायक समझते है।
धन्यवाद।
धन्यवाद।
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