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Tuesday, 20 September 2022

स्तालिन के सवाल पर (महान बहस का ये अंश प्रस्तुत है।)


स्तालिन के सोच-विचार और उनके कार्य का समग्रता में सार-संकलन करने पर हर ईमानदार कम्युनिस्ट जो इतिहास का कुछ सम्मान करता है, निश्चय ही पहले यह देखेगा कि स्तालिन में क्या मुख्य था। इसलिए, जब स्तालिन की भूलों का सही मूल्यांकन और सही आलोचना की जा रही हो और उन पर विजय हासिल की जा रही हो तो यह आवश्यक है कि स्तालिन के जीवन में जो मुख्य था उसकी हिफाजत की जाय, मार्क्सवाद-लेनिनवाद की हिफाजत की जाय जिसकी उन्होंने रक्षा की और जिसे उन्होंने विकसित किया।
स्तालिन की भूलों को, जो कि केवल गौण थीं, यदि ऐतिहासिक सबक की तरह लिया जाय ताकि सोवियत संघ तथा अन्य देशों के कम्युनिस्ट इससे चेतावनी ले सकें और उन भूलों को दुहराने से बच सकें या कम भूलें करें तो यह लाभदायक होगा । सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रकार के ऐतिहासिक सबक सभी कम्युनिस्टों के लिए लाभदायक हैं, बशर्ते कि वे सही ढंग से लिये जायें और वे ऐतिहासिक तथ्यों के अनुरूप हों, उन्हें तोड़ें मरोड़ें नहीं।
लेनिन ने यह कई बार बताया कि बेबेल और रोजा लक्जेमबर्ग जैसे लोगों के प्रति अपने रुख में जो कि अपनी सारी गलतियों के बावजूद महान सर्वहारा क्रान्तिकारी थे, मार्क्सवादी दूसरे इण्टरनेशनल के संशोधनवादियों से पूरी तरह भिन्न थे। मार्क्सवादियों ने इन लोगों की गलतियों को छुपाया नहीं, बल्कि इन उदाहरणों से यह सीख ली कि "किस तरह उनसे (गलतियों से -अनु.) बचें और क्रान्तिकारी मार्क्सवाद की अधिक सख्त अपेक्षाओं पर खरे उतरें''।' इसके विपरीत, संशोधनवादियों ने बेबेल और रोजा लक्जेमबर्ग की गलतियों पर भारी "काँव-काँव" और "कूँ-कूँ" मचाया। संशोधनवादियों का मजाक उड़ाते हुए लेनिन ने इस सन्दर्भ में एक रूसी कथा का उद्धरण दिया। "कभी-कभी गरुड़ मुर्गियों से नीचे उड़ सकते हैं, लेकिन मुर्गियां कभी भी गरुड़ की ऊंचाई तक नहीं उठ सकतीं।''  और रोजा लक्जेमबर्ग "महान कम्युनिस्ट" थे और अपनी गलतियों के बावजूद वे "गरुड़" ही रहे जबकि संशोधनवादी '"मजदूर वर्ग के आन्दोलन के पिछवाड़े, गोबर के ढेर के बीच '' रहने वाली "मुर्गियों" के झुण्ड थे।
ऐतिहासिक भूमिका से तुलनीय नहीं है। स्तालिन, एक पूरे ऐतिहासिक युग के दौरान, सर्वहारा बेबेल और रोजा लक्जेम्बर्ग की ऐतिहासिक भूमिका किसी भी प्रकार से स्तालिन की के अधिनायकत्व और अन्तरराष्ट्रीय कम्युनिस्ट आन्दोलन के ऐतिहासिक महान नेता थे, और उनके मूल्यांकन में अधिक सावधानी बरती जानी चाहिए।

सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी पर स्तालिन की "रक्षा" का आरोप लगाया है। हां, हम स्तालिन की रक्षा करते हैं। जब   ख्रुश्चेव इतिहास को तोड़ते-मरोड़ते हैं और स्तालिन को पूरी तरह नकारते हैं, तो निस्संदेह यह हमारा अनिवार्य कर्तव्य हो जाता है कि अन्तरराष्ट्रीय कम्युनिस्ट आन्दोलन के हित के लिए हम आगे आयें और स्तालिन की रक्षा करें।

स्तालिन की रक्षा करने में, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी उनके सही पक्ष की रक्षा करती है, सर्वहारा के अधिनायकत्व वाले उस पहले राज्य के संघर्षों के गौरवशाली इतिहास की रक्षा करती है जिसका जन्म अक्तूबर क्रान्ति में हुआ था; वह सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी के संघर्षों के गौरवशाली इतिहास की रक्षा करती है; वह पूरी दुनिया के मेहनतकश लोगों के बीच अन्तरराष्ट्रीय कम्युनिस्ट आन्दोलन की प्रतिष्ठा की रक्षा करती है। संक्षेप में, वह मार्क्सवाद-लेनिनवाद के सिद्धान्त और व्यवहार की रक्षा करती है। केवल चीनी कम्युनिस्ट ही ऐसा नहीं कर रहे हैं; मार्क्सवाद-लेनिनवाद के प्रति समर्पित सभी कम्युनिस्ट, सभी पक्के क्रान्तिकारी और सभी विवेकशील लोग ऐसा कर रहे हैं।
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स्तालिन ने जब कभी कोई गलती की तो वे स्वयं की आलोचना करने में समर्थ थे। उदाहरण के लिए, चीनी क्रान्ति के सन्दर्भ में उन्होंने कुछ गलत सुझाव दिये चीनी क्रान्ति की विजय के बाद उन्होंने अपनी गलती स्वीकारी। स्तालिन ने 1939 में सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी (बोल्शेविक) की अठारहवीं कांग्रेस को दी गयी अपनी रिपोर्ट में पार्टी कतारों के शुद्धिकरण के कार्य में हुई अपनी कुछ गलतियों को भी स्वीकारा। लेकिन ख्रुश्चोव? वे यह जानते ही नहीं कि आत्मालोचना होती क्या है, वे कुल यही करते हैं कि सारा दोष दूसरों पर डाल देते हैं और सारा श्रेय अपने लिये रख लेते हैं।

यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि खुश्चोव के ये गन्दे कारनामे ऐसे समय में किये गये हैं जब आधुनिक संशोधनवाद का तूफान आया हुआ है। जैसा कि लेनिन ने 1915 में दूसरे इण्टरनेशनल के संशोधनवादियों की मार्क्सवाद के साथ उनके विश्वासघात के लिए आलोचना करते हुए कहा था : 'शब्दों को भुला दिये जाने, उसूलों के खो जाने, दर्शनों के उलट दिये जाने और प्रस्तावों और पवित्र प्रतिज्ञाओं को परित्यक्त कर देने के इस समय में यह बिलकुल आश्चर्य की बात नहीं है'।



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