लय कविता की मूल शक्ति तथा मूल ऊर्जा है I इसकी व्याख्या नहीं की जा सकती, उसकी चुम्बक या विद्युत् के प्रवाह की तरह केवल चर्चा ही की जा सकती है I चुम्बकत्व या विद्युत् ऊर्जा के रूप हैं I कुछ कविताओं, यहाँतक कि कवि के पूरे कृतित्व में एक ही लय हो सकती है, लेकिन इससे उसका कृतित्व एक जैसा नहीं हो जाता , क्योंकि लय निरूपण में इतनी कठिन और जटिल होती है कि कवि अपनी अनेक मुख्य कृतियों में भी इसका पूरा उपयोग करने में असमर्थ रह सकता है I
-- व्लादिमिर मयाकोव्स्की
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