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Saturday, 17 September 2022

ई. वी. रामास्वामी पेरियार

अमीर लोग, जो मजदूरों का शोषण करते हैं और अपनी संपत्ति की रक्षा करने की कोशिश करते हैं; और जो लोग एक खुशहाल जीवन का आनंद लेना चाहते हैं;और जो लोग अधिक धन के लिए भगवान से याचना करते हैं;और जो मृत्यु के बाद भी नाम और प्रसिद्धि चाहते हैं; और जो अपनी संपत्ति अपने बेटों और पोतों के लिए छोड़ना चाहते हैं; वे हमेशा शाश्वत चिंता में रहते हैं। किन्तु, एक कठोर श्रम करने वाले श्रमिक के साथ ऐसा नहीं है।

विश्व में श्रमिक हमेशा कष्टों और परेशानियों में जीते रहे हैं। यह श्रमिक ही है, जो विश्व में सब कुछ बनाता है। लेकिन, यह श्रमिक ही चिंताओं कठिनाइयों और दुःखों से गुजरता है।

गरीब का मूल कारण समाज में पूंजीपतियों का अस्तित्व है। यदि समाज में पूंजीपति लोग नहीं रहेंगे, तो गरीबी नहीं होगी।

जिसे भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहा जाता है, वह चीज बहुत पहले ही गायब हो गई। जो लोग सरकार के खिलाफ वैध आरोप लगाते हैं, उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है। उन स्वतंत्रता के दुश्मनों के रूप में झूठा आरोप लगाया जाता है।

धनी लोग, शिक्षित लोग, व्यापारी और पुरोहित वर्ग जाति -प्रथा, धर्म, शास्त्र और ईश्वर से लाभ उठा रहे हैं। इनकी वजह से इनको कोई परेशानी नहीं होती है। इन्हीं सब चीजों से इनका उच्च स्तर बना हुआ है।

धर्म का आधार अंधविश्वास है। विज्ञान में धर्मों का कोई स्थान नहीं है। इसलिए, बुद्धिवाद धर्म से भिन्न है। सभी धर्मवादी कहते हैं कि किसी को भी धर्म पर संदेह या कुछ भी सवाल नहीं करना चाहिए। इसने मूर्खों को धर्म के नाम पर कुछ भी कहने की छूट दे दी। धर्म और ईश्वर के नाम पर मूर्खता एक सनातन रीति है।

धन और प्रचार ही धर्म को जिंदा रखता है। ऐसी कोई दिव्य शक्ति नहीं है, जो धर्म की ज्योति को जलाए रखती है।

जो लोगों को अज्ञान में रखकर राजनीति में प्रमुख स्थिति प्राप्त कर चुके हैं, उनका ज्ञान के साथ कोई संबंध नहीं माना जा सकता है।

- ई. वी. रामास्वामी पेरियार

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