देश मे सबसे पहले इस.फासीवाद शब्द का सार्वजनिक प्रयोग इंदिरा गांधी के खिलाफ़ खुद उनके पति फ़िरोज गांधी ने किया था।
देश के लोकतंत्र पर काला सड़ांध मारता धब्बा आजादी के 10 साल बाद लग चुका था.. जब 1957 मे पहली गैर कोंग्रेस राज्य सरकार शंकरन नंबूदरीपाद के नेतृत्व मे चुनके आई।
सत्ता संभालते ही केरल की वामपंथी सरकार ने एक के बाद एक सुधार कानून लाना शुरू किया। मजदूरों की मजदूरी बढ़ाना, राशन वितरण प्रणाली को दुरुस्त करना। जमीन के बंटवारे के लिए कानून बनाया छोटे किसानों को जमीन से बेदखल करने पर रोक लगाना। इन सुधार का घूंट केरल का उच्च वर्ग किसी तरह पी रहा था, तभी नंबूदरीपाद सरकार ने शिक्षा सुधार संबंधि बिल लाकर प्राइवेट स्कूल के मालिकों को बताया कि अगर प्रबंधन में गड़बड़ी पायी गयी तो सरकार स्कूल का प्रबंधन खुद करने लगेगी। शिक्षा को कमाई का जरिया बना चुके केरल के एक वर्ग ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इसमें नायर सर्विस सोसायटी, कैथोलिक चर्च और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग शामिल थे।
दुनिया की दूसरी वामपंथी सरकार वो भी भारत मे आने पर अमेरिका से लेकर नेहरू की कोंग्रेस के कान खड़े हो गए.. किसी भी कीमत पर इस उभरे वामपंथी विकल्प को कुचलना था।
उच्च वर्ग, कैथोलिक चर्च, मुस्लिम लीग के साथ मिलकर कोंग्रेस ने विरोध को हवा दी( आज भी केरल मे कोंग्रेस का चुनावी गठबंधन शुद्ध साम्प्रदायिक पार्टियों के साथ है)
आन्दोलन तेज हुआ तो पुलिस कार्रवाई में 20 लोगों की जान गई।
और 30 जुलाई, 1959 को कथित समाजवादी नेहरू ने नंबूदरीपाद लेफ्ट सरकार कानून व्यवस्था का हवाला देकर बर्खास्त कर दी..
नरूका जितेंद्र की पोस्ट से साभार
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