ईरान में माहसा अमीनी नामक एक कुर्दिश युवती को हिजाब (Hijab) न पहनने की वजह से वहाँ की 'मोरल पुलिस' ने गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार करने के बाद उसे तीन दिन तक बुरी तरह पीटा गया, 22 वर्षीय इस युवती की पुलिस कस्टडी में ही मौत हो गई. ज्ञात हो कि ईरान में हिजाब उतारने को कानूनन अपराध माना जाता है और इसकी सजा दी जाती है.
अमीनी के पुलिसया दमन की वजह से हुई मौत के विरोध में भारी भीड़ सड़कों पर उतर आयी, लोगों ने सरकार व कट्टरपंथ विरोधी प्रदर्शन किया, सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और 'तानाशाह का नाश हो' जैसे नारे लगाए। महिलाओं ने अपने हिजाब उतारकर विरोध दर्ज किया व ईरान में हिजाब न उतारने के क़ानून को सामूहिक तौर पर चुनौती दी। लेकिन पुलिस इन प्रदर्शनकारियों का दमन करने से भी बाज़ नहीं आयी, उसने इन पर फायरिंग कर दी, जिसमें काफी लोग घायल हुए.
ईरान में 1979 में हुई इस्लामिक क्रांति के बाद से ही महिलाओं को हिजाब पहनना अनिवार्य कर दिया गया था. नियमों के मुताबिक महिलाओं को अपना सिर ढकना होता है और सार्वजनिक स्थानों पर निकलने के पहले उनके बाल ढके होने चाहिए. लेकिन बीते कुछ समय से महिलाएं इस ड्रेस कोड के खिलाफ खुलकर बोलते हुए नजर आई हैं.
*धार्मिक कट्टरपन्थी सोच दुनिया भर में मानवता की दुश्मन बनी हुई है। वह चाहे ईरान-अफगानिस्तान-तुर्की का इस्लामिक कट्टरपंथ हो या फिर भारत में हिंदुत्व के रूप में तबाही मचाता हुआ कट्टरपंथ, इसका ख़ात्मा करना आज हर इंसाफ़ पसन्द इंसान की प्राथमिक ज़िम्मेदारी बन जाती है।*
धर्मेंद्र आजाद का पोस्ट
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